भारत के तमाम राज्यों में औषधीय गुण वाले तमाम पेड़-पौधे मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है पहाड़ी नीम यानी तिमूर जो मुख्य तौर पर उत्तराखंड में पाई जाती है। इस नीम को कई गुणों से भरपूर माना जाता है और कई छोड़ी-बड़ी बीमारियों के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस पौधे का इस्तेमाल दंत मंजन के रूप में होता है, वहीं माना जाता है कि इसे लेने से बीपी भी कंट्रोल में रहता है। इस कांटेदार पेड़ पर छोटे-छोटे फल लगते हैं और इन दानों को चबाने पर झाग भी बनता है।
इस पौधे का वैज्ञानिक नाम जेनथोजायलम अर्मेटम है। झाड़ीनुमा इस वृक्ष की लंबाई 10 से 12 मीटर होती है और तिमूर के अलावा इसे टिमरू और तेजोवती नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे की सूखी टहनी बहुत मजबूत होती है जिसके चलते इसे लाठी के तौर पर भी प्रयोग में लाया जाता है। वहीं इसका आध्यात्मिक महत्व भी है और इसकी लकड़ी को बहुत शुभ माना जाता है। पहाड़ी नीम की लकड़ी को मंदिर, देव स्थानों आदि पर प्रसाद के रूप में भी चढ़ाया जाता है।
यहां जानें और क्या फायदे हैं तिमूर यानी पहाड़ी नीम के :
तो ये हैं पहाड़ी नीम के गजब के फायदे। अगर आप अगली बार किसी पहाड़ी क्षेत्र, खासतौर पर उत्तराखंड में जाएं तो इस पौधे को जरूर देखें।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।
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