Jowar ke fayde in hindi : पोषक तत्त्वों के लिहाज से ज्वार एक जोरदार अनाज है। इसमें प्रचुर मात्रा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर होता है। लगभग हर तरह की विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन, जिंक, कॉपर और फास्फोरस की मौजूदगी इसे और खास बनाती है। इसी वजह से इसे भी बाजरा की तरह सुपरफूड कहा जाता है। अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष- 2023 योगी सरकार लोगों और किसानों को ज्वार की खूबियां बताकर इसके जोर को और बढ़ाएगी। लोग ज्वार का प्रयोग अनाज के रूप में करते हैं। इसके अलावा ज्वार के फायदे और भी हैं। ज्वार कफ और पित्त को शांत करता है, वात को बढ़ाता है। शरीर को बल प्रदान करता है। ज्वार के रस को ललाट पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है। ज्वार के आटे को काजल की तरह आंखों में लगाने से लाभ मिलता है। वजन घटाने से लेकर डायबिटीज राहत देने सहित शरीर की कई समस्याओं में ज्वार लाभ पहुंचाता है।
उत्तर प्रदेश में ज्वार की खेती की संभावना (Jowar Production)
डायरेक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड स्टैटिक्स मिनिस्ट्री ऑफ एग्रिकल्चर के 2013 से 2016 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत मे ज्वार की प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल उपज 870 किग्रा है। इस दौरान उत्तर प्रदेश की औसत उपज 891 किग्रा रही। इस दौरान सर्वाधिक 1814 किग्रा की उपज आंध्र प्रदेश की रही। कृषि विभाग के अद्यतन आंकड़ों के अनुसार 2022 में उत्तर प्रदेश में इसकी उपज बढ़कर 1643 किग्रा प्रति हेक्टेयर हो गई। बावजूद इसके यह शीर्ष उपज लेने वाले आंध्र प्रदेश से कम है। उपज का यही अंतर उत्तर प्रदेश के लिए संभावना भी है। खेती के उन्नत तरीके,अच्छी प्रजाति के बीजों की बोआई से इस गैप को भरा जा सकता है। अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष का मकसद भी यही है। उपज के साथ पिछले तीन साल से ज्वार का उत्पादन और रकबे का लगातार बढ़ना प्रदेश के लिए एक शुभ संकेत है।
बहुपयोगी होता है (Jowar Benefits and Uses)
उल्लेखनीय है कि मोटे अनाजों (मिलेट्स) में बाजरा के बाद ज्वार दूसरी प्रमुख फसल है। यह खाद्यान्न एवं चारा दोनों रूपों में उपयोगी है। इसके लिए सिर्फ 40-60 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है। लिहाजा इसकी फसल सिर्फ वर्षा के सहारे असिंचित क्षेत्र में भी ली जा सकती है।
बिना लागत की खेती (Jowar Production Cost)
ज्वार की खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं। इसकी खेती किसी तरह की भूमि में की जा सकती है। बस उसमें जलनिकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए खेत की भी खास तैयारी नहीं करनी होती। रोगों के प्रति प्रतिरोधी होने के कारण इसमें कीट नाशकों की जरूरत नहीं पड़ती। कुल मिलाकर गेंहू, धान और गन्ना की तुलना में यह बिना लागत की खेती है।
भारत में प्राचीन काल से होती रही है खेती
भारत में तो हरित क्रांति के पहले प्राचीन काल से ज्वार सहित अन्य मोटे अनाजों की खेती की संपन्न परंपरा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मन की बात में मिलेट्स रिवॉल्यूशन की बात कर चुके हैं। भारत 2018 में मिलेट्स वर्ष भी मना चुका है। भारत के प्रस्ताव पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने 2023 को अन्तराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मोटे अनाजों की खूबियों के प्रति लोगों एवं किसानों को जागरूक करने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है।
खेती को प्रोत्साहन के लिए प्रस्तावित कार्यक्रम
इसी क्रम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत जिन जिलों (झांसी, हमीरपुर, बांदा, फतेहपुर, जालौन, प्रयागराज, हरदोई, मथुरा, फर्रुखाबाद आदि ) में परंपरागत रूप से इनकी खेती होती है उनमें दो दिवसीय किसान मेले आयोजित होंगे। इसमें वैज्ञानिकों के साथ किसानों का सीधा संवाद होगा। खूबियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियां निकाली जाएंगी। राज्य स्तर पर इनकी खूबियों के प्रचार-प्रसार के लिए दूरदर्शन, आकाशवाणी, एफएम रेडियो, दैनिक समाचार पत्रों, सार्वजिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर के जरिए आक्रामक अभियान भी चलाया जाएगा।
100 ग्राम ज्वार में मिलने वाले पोषक तत्त्व
कोलेस्ट्रॉल-जीरो। कैलोरी- 339 । कार्बोहाइड्रेट-74.3 ग्राम। फाइबर 6.3 ग्राम। प्रोटीन 11.3 ग्राम। कुल वसा-3.3 ग्राम। संतृप्त वसा 0.5 ग्राम। मोनोसेचुरेटेड वसा 1.0 ग्राम। पॉलीअनसेचुरेटेड वसा 1.4 ग्राम।ओमेगा -3 फैटी एसिड 65 मिलीग्राम।ओमेगा -6 फैटी एसिड 1305 मिलीग्राम।
मिलने वाले विटामिन्स मिलीग्राम में
विटामिन बी 1- 0.2 ।
विटामिन बी 2 - 0.1।
विटामिन बी 3 - 2.9 ।
विटामिन बी 5 - 0.367 ।
विटामिन बी 6 – 0.443 ।
विटामिन ई – 0.50 ।
कैल्शियम – 28.0 ।
आयरन – 4.4 ।
मैग्नीशियम – 165 ।
फास्फोरस – 287 ।
पोटेशियम – 350।
सोडियम – 6.0 ।
जिंक – 1.7 ।
कॉपर – 0.284 ।
सेलेनियम – 12.2
तीन वर्ष में ज्वार की खेती की प्रगति
वर्ष क्षेत्रफल उत्पादन उत्पादकता
2021 1.71 2.70 15.78
2022 2.15 3.40 15.80
2023 2.24 3.54 16.43
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स्रोत कृषि विभाग