नई दिल्ली: स्मार्टफोन और लैपटॉप की धीरे-धीरे लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका हो गई है। कोरोना वायरस के कारण उपजे लॉकडाउन के दौरान भी इसकी भूमिका में तेजी से इजाफा हुआ है। न केवल युवा बल्कि विभिन्न आयु वर्ग के लोग घर के अंदर रहते हुए अपना अधिकांश समय मोबाइल फोन पर गुजार रहे हैं। एक तरफ जहां बच्चों की पढ़ाई ऑन लाइन क्लासेस से हो रही थी वहीं बुजुर्ग अपने करीबियों से तकनीक के जरिए संपर्क में थे। वहीं कामकाजी लोगों को वर्क फ्रॉम होम करना पड़ा।
जो लोग अपने मोबाइल फोन से घंटो चिपककर लॉकडाउन के दिन बिताते रहे। कोरोना का कहर बदस्तूर जारी है और लॉकडाउन की वजह से उपजी स्थितियां जस की तस बनी हुई हैं। ऐसे में घर से काम कर रहे लोगों के लिए कई तरह की शारीरिक समस्याएं खड़ी हो रही हैं। एक तरफ लोगों का वजन बढ़ रहा है वहीं दूसरी तरफ घर पर ऑफिस स्ट्रक्चर नहीं होने के कारण पीठ और गले में दर्ज जैसी परेशानियों से भी उनका सामना हो रहा है।
डॉक्टरों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों में पीठ और गले में दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं और धीरे-धीरे ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसकी बड़ी वजह लोगों को चिकित्सकीय मदद नहीं मिल पाना है। डॉक्टरों का मानना है कि इसकी प्राथमिक वजह घर पर लोगों के लिए ऑफिस की तरह बैठने की सही व्यवस्था नहीं होना है। वर्क फ्रॉम होम की वजह से लोगों को स्केलैटल( कंकाल) हेल्थ की परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है।
दर्द को ना करें नजरअंदाज
लैपटॉप में काम करते हुए जो लोग सही तरह से नहीं बैठ रहे हैं और लंबे समय तक एक ही पोस्चर में बैठ रहे हैं उनकी रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में गैप उत्पन्न हो रहा है और स्लिप डिस्क की परेशानी बढ़ रही है। सर्वाइकल नर्व में यदि दर्द होने लगा तो ऐसे लोगों में स्पोंडेलाइटिस की समस्या के उत्पन्न होने का खतरा है। इसकी वजह से दर्ज हाथों की ओर भी बढ़ सकता है। इस दर्द को लंबे समय तक नजरअंदाज करना भविष्य में घातक हो सकता है।
यदि लोगों के अंदर इस तरह का दर्द शुरू हो रहा है तो उसे नजर अंदाज न करें और डॉक्टर से संपर्क करें और फीजियोथैरपी करवाएं। दर्द या अन्य दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करें। नहीं तो इसके और भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं।