सर्दियों में प्रदूषण से और बुरा हो सकता है कोविड-19 का प्रभाव, तैयार रहें लोग : विशेषज्ञ

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भाषा
Updated Oct 17, 2020 | 09:06 IST

कोरोना के साथ -साथ सर्दियों में प्रदूषण की वजह से लोगों की दिक्कतों में इजाफा होने के आसार हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि इसकी वजह से मौत के आंकड़ों में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है।

Pollution could worsen Covid-19 impact in winter Experts
सर्दियों में प्रदूषण से और बुरा हो सकता है कोरोना का प्रभाव  |  तस्वीर साभार: Getty Images
मुख्य बातें
  • वायु प्रदूषकों के साथ लंबे समय तक संपर्क गंभीर संक्रमण और उच्च मृत्युदर से जुड़ा है
  • सर्दी बढ़ने के साथ ही प्रदूषण बढ़ने से तेज हो सकते हैं कोरोना के मामले
  • विशेषज्ञों ने दी प्रदूषण के दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह

नई दिल्ली: बीते कुछ महीनों के दौरान नीला आसमान देखने और साफ हवा में सांस लेने वाले दिल्ली-एनसीआर के लोगों को एक बार फिर धुएं से भरा और धुंधला आसमान परेशान कर रहा है। विशेषज्ञों ने भी लोगों को सर्दी के मौसम के लिये तैयार रहने को कहा है जब ज्यादा प्रदूषण स्तर की वजह से कोविड-19 का प्रभाव और गंभीर हो सकता है। पर्यावरण एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से कहा है कि वे अब ज्यादा सतर्क रहें क्योंकि वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से संक्रमण गंभीर हो सकता है और मृत्युदर भी बढ़ सकती है।

कोविड के दौर में मुश्किलें और ज्यादा हैं

उनका मानना है कि प्रदूषण के कारण फेफड़ों को होने वाले नुकसान से कोविड-19 के दौरान निमोनिया जैसी मुश्किलें भी हो सकती हैं। ग्रीनपीस इंडिया के लिये जलवायु के क्षेत्र में काम करने वाले अविनाश चंचल ने कहा, 'इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि वायु प्रदूषकों के संपर्क में रहने से श्वसन संबंधी संक्रमण को लेकर हमारी संवेदनशीलता बढ़ जाती है और उसके प्रसार व संक्रमण की गंभीरता दोनों के स्तर पर होती है।'

उन्होंने कहा, 'शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण को उस तंत्र से जोड़ा है जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। कोविड-19 के मामले में मौजूदा साक्ष्य यह संकेत देते हैं कि वायु प्रदूषकों के साथ लंबे समय तक संपर्क गंभीर संक्रमण और उच्च मृत्युदर से जुड़ा है।' सर्दियों का मौसम उत्तर भारत में हर साल सर्दी और प्रदूषित हवा लेकर आता है और इस साल महामारी के कारण स्थिति और खराब हो सकती है। दिल्ली-एनसीआर के आसमान पर 15 अक्टूबर को धुएं व धुंध की परत बनी हुई थी और क्षेत्र में वायु गुणवत्ता “बेहद खराब” स्तर पर थी जबकि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत बिजली के जनरेटरों पर प्रतिबंध समेत वायु प्रदूषण रोधी सख्त उपाय लागू किये गए हैं।

महामारी में रहें सतर्क
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 73,70,468 हो गए जबकि एक दिन में संक्रमण के 63,371 नए मामले सामने आए। दिल्ली के उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के डॉक्टर सूचिन बजाज ने कहा कि सर्दियों की शुरुआत में और पराली जलाए जाने के कारण अस्थमा और फेफड़ों व श्वसन संबंधी अन्य बीमारियों के मामलों में इजाफा होता है लेकिन इस साल महामारी के कारण ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। बजाज ने कहा, 'जब आपके फेफड़े पूरी तरह सही न हों और कमजोर हों तब कोविड के दौरान आपके निमोनिया जैसी समस्याओं से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। आपको आने वाले दिनों में ‘एसएमएस’ - सामाजिक दूरी, मास्क और सफाई - का अधिक ध्यान रखना होगा।'

असमय मौत का अहम कारक है वायु प्रदूषण

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली ‘सफर’ के मुताबिक खेतों में लगाई गई आग की वजह से दिल्ली में बृहस्पतिवार को पीएम 2.5 करीब छह प्रतिशत था। बुधवार को यह करीब एक प्रतिशत था जबकि मंगलवार, सोमवार और रविवार को यह करीब तीन प्रतिशत था। पीजीआई चंडीगढ़ में पर्यावरण स्वास्थ्य के असोसिएट प्रोफेसर रविंद्र खाईवाल कहते हैं कि वायु प्रदूषण की पहचान असमय मौत के एक अहम कारक के तौर पर की गई है। उन्होंने कहा, 'असमय मौत और गैर संचारी रोगों के लिये वायु प्रदूषण की पहचान अहम कारक के तौर पर हुई है।

इस बात के प्रमाण भी मिल रहे हैं कि वायु प्रदूषण कोविड-19 की गंभीरता से जुड़ा हो सकता है।' उन्होंने कहा कि पराली जलाने से प्रदूषण में 20-40 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मास्क का इस्तेमाल वायु प्रदूषण के साथ ही कोविड-19 के खिलाफ भी सबसे प्रभावी उपाय है।
 

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