पूरी दुनिया पर एक वायरस ने ऐसा कहर बरपाया है कि सब कुछ थम गया। कोरोना वायरस एक दलदल की तरह नजर आने लगा है, जितना इससे बाहर निकलने का प्रयास होता है, ये उतना उस देश को अपने शिकंजे में कसता जाता है। आलम ये है कि अब तक पूरी दुनिया में इस महामारी की वजह से साढ़े तीन लाख के करीब लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और आंकड़े की रफ्तार चाहे कुछ जगह पर कम हो गई है, लेकिन ये थम नहीं रहा। इसको लेकर दुनिया में तमाम तरह की रिसर्च व स्टडी भी जारी हैं। ऐसी ही एक रिसर्च में कोरोना से हो रही मौतों को लेकर अनोखा दावा किया गया है।
कोरोना वायरस से दुनिया जूझ रही है और तमाम कोशिशें जारी हैं एक वैक्सीन बनाने की ताकि इसका संक्रमण बेअसर किया जा सके। वहीं दवाईयों को लेकर भी रिसर्च, प्रयोग और चर्चाएं जारी हैं ताकि इलाज करके ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके। इसी बीच एक शोध में दावा किया गया है कि जिन पुरुषों की रिंग फिंगर जितनी बड़ी होती है, उसके इस वायरस से मरने के आसार उतने ही कम होते हैं।
एक ताजा रिसर्च में ये दावा किया जा रहा है कि पुरुष, जिनकी रिंग फिंगर (अनामिका अंगुली) जितनी लंबी होगी, उनको कोरोना से मौत का खतरा उतना ही कम होगा और मुमकिन है कि वायरस से उनको सिर्फ मामूली लक्षण ही हो, उससे ज्यादा और कुछ नहीं।
बताया जा रहा है कि इस रिसर्च के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित तमाम देशों के मौतों के आंकड़े लिए गए और इनकी गहराई से जांच की गई। इसमें पता चला कि जिन देशों में पुरुषों की रिंग फिंगर छोटी है वहां उनकी मौतों की संख्या उन देशों की तुलना में काफी ज्यादा है जहां पर पुरुषों की रिंग फिंगर लंबी पाई गईं।
इस रिसर्च में बताया गया है कि रिंग फिंगर की लंबाई एक खास वजह से लंबी या छोटी होती हैं। दरअसल, ये इस बात पर निर्भर करता है कि जब बच्चा गर्भ में बढ़ रहा होता है तब उस पर टेस्टोस्टरोन का कितना प्रभाव पड़ा है। जितना ज्यादा टेस्टोस्टरोन का प्रभाव होता है, रिंग फिंगर उतनी लंबी होती है। टेस्टोस्टरोन एक हार्मोन है जो कि पुरुषों के अंडकोष में होता है। टेस्टोस्टरोन शरीर में कुछ ऐसे रिसेप्टर्स को बढ़ाता है जो गंभीर कोरोना वायरस से रक्षा करते हैं। ये भी दावा है कि ये रिसेप्टर्स फेफड़ों को नुकसान पहुंचने से भी बचाते हैं।
ये सवाल कोरोना वायरस को लेकर काफी पहले से चर्चा और शोध का विषय रहा है कि क्या महिलाओं के मुकाबले कोविड-19 से पुरुषों को ज्यादा खतरा है? मृत्यु दर को देखते हुए कुछ दावे तो किए गए हैं लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस दावा या शोध में नतीजा नहीं निकला है। आमतौर पर ये वायरस सबसे ज्यादा उन पर हावी होता माना गया है जो पहले से किसी गंभीर समस्या से पीड़ित हों।