नई दिल्ली: उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर के अंग भी कमजोर होने लगते है। ऐसे में इसका प्रभाव हड्डियों पर भी पड़ता है। कई बार उंगलियों या हाथ के पंजे को खींचने पर हड्डियों के चटकने की आवाज आती है। लेकिन अगर आपकी हड्डियों से अक्सर कट-कट की आवाज आती हो या फिर पॉपिंग, क्रैकिंग, स्नैपिंग या क्लिकिंग जैसी दिक्कतें आ रही हो तो आपको इसे गंभीरता से लेना चाहिए और किसी भी सूरते हाल में नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
हड्डियों से आने वाली इस आवाज को मेडिकल टर्म में क्रेपिटस कहते हैं जिसका अर्थ है खड़खड़ाहट। अगर हड्डियों की इस आवाज के साथ सूजन और दर्द भी महसूस हो रहा हो तो इसे गंभीरता से लें और सावधान हो जाए। ऐसी स्थिति में आपको डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण कार्टिलेज को नुकसान
हमारे शरीर की 2 हड्डियां जब एक जगह पर मिलती हैं तो वे आपस में टकराए बिना आराम से मूव कर सकें इसके लिए हड्डियों का जोड़ एक मजबूत कार्टिलेज से ढका रहता है। लेकिन हड्डियों से जुड़ी बीमारी ऑस्टियो-आर्थराइटिस इसी कार्टिलेज को कमजोर कर देती है और जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ने लगती है हड्डियों से आवाज आने का सिलसिला भी जारी रहता है और मरीज की तकलीफ बढ़ती चली जाती है।
गठिया का सबसे कॉमन रूप है ऑस्टियोआर्थराइटिस
ऑस्टियोआर्थराइटिस, आर्थराइटिस यानी गठिया का एक सबसे कॉमन रूप है जो दुनियाभर के लाखों लोगों को प्रभावित करता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस की यह समस्या शरीर के किसी भी हड्डियों के जोड़ में हो सकती है लेकिन यह आमतौर पर हाथों में, घुटने में, कुल्हे या रीढ़ की हड्डी में ज्यादा देखने को मिलती है।
हड्डियों में चोट लगने के कारण भी हो सकता है ऑस्टियोआर्थराइटिस
वैसे तो ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी बुजुर्गों में ज्यादा देखने को मिलती है लेकिन युवाओं में भी यह बीमारी हो सकती है अगर उन्हें किसी तरह की चोट लग जाए जिसकी वजह से जॉइंट्स के कार्टिलेज टूटने लगें, लिगामेंट्स में चोट लग जाए या हड्डियों का जोड़ डिस्लोकेट हो जाए।
मोटापा और खराब पॉस्चर है अहम कारण
इसके अलावा मोटापा और खराब पॉस्चर भी ऑस्टियोआर्थराइटिस होने से जुड़ा अहम जोखिम कारक है। लिहाजा अगर आपका वजन अधिक है तो डॉक्टर से बात करके वेट लॉस करना फायदेमंद हो सकता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षण
1. हड्डियों और जोड़ों में दर्द
2. हड्डियों या जोड़ों में जकड़न महसूस होना
3. अंदरुनी सूजन और जलन (इन्फ्लेमेशन)
4. बीमारी गंभीर स्थिति में पहुंच जाए तो जोड़ों में विकृति या टेढ़ापन हो सकता है।
5. जोड़ों में दर्द और जकड़न की वजह से व्यक्ति का चलना-फिरना बंद हो सकता है।