उत्तरी राज्यों में गर्मी की तपन तेज होने के साथ बच्चों, बुजुर्गो और पहले से बीमार लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। गंभीर गर्मी के संपर्क में आने से शरीर में ऐंठन, थकावट और हीट-स्ट्रोक सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए खूब पानी पिएं, ताकि शरीर 'हाइड्रेटेड' रहे। नैदानिक रूप से, गर्मी से होने वाली थकावट और हीट स्ट्रोक दोनों बुखार, निर्जलीकरण और अन्य लक्षणों जैसे सिरदर्द, प्यास, मतली या उल्टी, तेजी से नाड़ी आदि के रूप में प्रकट हो सकते हैं। थकावट और हीट स्ट्रोक के बीच मुख्य अंतर यह है कि हीट स्ट्रोक में पसीना नहीं निकलता है।
इस बारे में पद्म अवार्डी, डॉ. के के अग्रवाल, अध्यक्ष, एचसीएफआई ने कहा, 'हीट स्ट्रोक में, तापमान बहुत अधिक होता है, और कुछ ही मिनट के अंदर इसे कम करने की आवश्यकता होती है। नम स्पंज के उपयोग से ठंटे या टैपिड स्नान की मदद से ऐसा किया जा सकता है। कुछ सावधानियां जरूरी हैं, जैसे पसीना आना, शुष्क बगल, 8 घंटे तक मूत्र न आना या गर्मियों में उच्च बुखार होना। यदि ये लक्षण प्रकट होते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। इस मौसम में सावधानी बरतनी चाहिए। जिन लोगों को तरल या नमक लेने पर प्रतिबंध है या जो मूत्रवर्धक दवा ले रहे हैं, उन्हें तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।'
गर्मी में हीट स्ट्रोक और अन्य परेशानियों से बचने का उपाय-
गर्मियों के दौरान हर किसी के लिए एक मेडिकल व्रत का महत्व रेखांकित किया जाना चाहिए। व्रत का सबसे सरल तरीका यह हो सकता है कि हफ्ते में एक बार काबोर्हाइड्रेट नहीं खाया जाए और सिर्फ फलों व सब्जियों का सेवन किया जाए।
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