नई दिल्ली: कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच, भारत में भी 10 जनवरी से बूस्टर डोज लगने जा रहा है। बूस्टर डोज भी, पहली दोनों डोज की तरह इस बार भी सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल से ज्यादा उम्र के गंभीर बीमारी से पीड़ित नागरिकों को लगाया जाएगा। इस फैसले के बाद भारत में उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जहां पर बूस्टर डोज लगेगा।
भारत में इन देशों के क्लब में होगा शामिल
ourworldindata वेबसाइट के अनुसार इस समय 20 से ज्यादा देशों में बूस्ट डोज दी जा रही है। इसमें ब्राजील, कनाडा, चिली, चीन, क्यूबा, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ईरान, इटली, जापान, फिलिपींस, पुर्तगाल, रूस,सिंगापुर, थाइलैंड, टर्की जैसे देश शामिल हैं। इसके अलावा इजरायल में भी बूस्टर डोज सबसे पहले लगाई गई थी।
अभी इनको लगेगी बूस्टर डोज
-सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर और 60 साल और उससे ज्यादा की उम्र के गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को 10 जनवरी से बूस्टर डोज लगाया जाएगा।
-इनमें भी बूस्टर डोज उन लोगों को लगाया जाएगा, जिनको दूसरी डोज लगे हुए 9 महीने या 36 हफ्ते बीत चुके हैं।
-पात्र लोगों को कोविन पोर्टल से बूस्टर डोज के लिए SMS के जरिए अलर्ट आएगा।
-पात्र लोगों को बूस्टर डोज के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा।
अभी कितने लोग हैं दायरे में
भारत में 25 दिसंबर तक 96 लाख से ज्यादा दूसरी डोज, स्वास्थ्यकर्मियों को, 1.68 करोड़ से ज्यादा दूसरी डोज फ्रंटलाइन वर्कर और 9.24 करोड़ से ज्यादा दूसरी डोज 60 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को लगाई जा चुकी है। ऐसे में सबसे पहले इस कैटेगरी के लोगों का नंबर आएगा।
किस देश में कितना लगा बूस्टर डोज
24 दिसंबर तक के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा बूस्टर डोज अमेरिका में 6.47 करोड़, यूके में 3.22 करोड़ , जर्मनी में 2.98 करोड़ और ब्राजील में 2.48 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। जबकि रूस में 68 लाख डोज लगाई गई है।
कितनी कारगर है वैक्सीन
ओमिक्रॉन पर वैक्सीन के असर पर फॉर्मा कंपनी फाइजर और मॉडर्ना ने स्टडी की है। कंपनियों के अनुसार उनकी वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ भी इफेक्टिव है। वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 महीने बाद एंटीबॉडी लेवल में कमी आने लगती है। ऐसे में बूस्टर डेज ओमीक्रॉन को रोकने में सहायक होगा। फाइजर की स्टडी कहती है कि दूसरा डोज लगवाने के 2 हफ्ते तक वैक्सीन संक्रमण को रोकने में 90 फीसदी कारगर है, लेकिन 5 महीने बाद केवल 70 फीसगी ही कारगर रह जाती है। ऐसा ही असर माडर्ना के वैक्सीन पर भी दिखता है।