डॉ. एस. रामाकृष्णन/नई दिल्ली: एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) से पीड़ित तमाम लोगों और यहां तक कि उनकी देखभाल करने वाले भी इस स्थिति से बहुत कुछ सीख सकते हैं। यदि आप एएस के साथ जिंदगी काट रहे हैं या हाल ही में इसका पता चला है, तो चिकित्सा विशेषज्ञों का सुझाव है कि जितना अधिक आप एएस के बारे में जानते हैं, उतने ही बेहतर ढंग से आप इसका सामना कर सकेंगे। एएस के बारे में प्रचलित कुछ सामान्य मिथकों को तोड़ना ऐसा करने के फायदेमंद तरीकों में से एक है।
‘एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस’ (एएस) सूजन की एक समस्या है, जोकि मुख्य रूप से रीढ़ के क्षतिग्रस्त होने का कारण बनती है। इस स्थिति को अक्सर सामान्य पीठ दर्द मानते हुए अनदेखा किया जाता या गलत समझ लिया जाता है। चिकित्सा विशेषज्ञ संकेत देते हैं कि एएस की पहचान करने में अमूमन थोड़ा विलंब हो जाता है। यदि समय पर इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो सूजन और बिगड़ कर घातक रूप ले सकती है। ऐसे में, स्थितियां ज्यादा बिगड़ने पर मरीज को व्हीलचेयर या फिर बिस्तर पर रहने के लिये मजबूर होना पड़ सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञ भी सुझाव देते हैं, निदान में देरी के कारण एएस जितना ज्यादा गंभीर हो जाता है, रोगियों पर उपचार का असर उतना ही कम हो जाता है।
आमतौर पर शारीरिक परीक्षण, एक्स-रे, एमआरआई और रक्त परीक्षणों की एक श्रृंखला के माध्यम से एएस का निदान किया जाता है। गौरतलब है कि एचएलए-बी27 जीन एएस का एकमात्र कारण नहीं होता है। हां, यह इसका एक कारण जरूर हो सकता है। यहाँ एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के बारे में कुछ शीर्ष गलत धारणाओं के पीछे छिपे तथ्य दिए गए हैं, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए:
मिथक 1: एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक दुर्लभ स्थिति है
तथ्य : जितना आप सोच सकते हैं, एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, उससे कहीं ज्यादा सामान्य है। अनुमान बताते हैं कि भारत में हर 100 में 5 लोग एएस के साथ जीवन बिता रहे हैं। हालांकि ये संख्या छोटी लगती है, लेकिन वर्तमान में एएस 5 फीसदी भारतीय आबादी को प्रभावित कर रहा है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस आर्थराइटिस से ग्रसित रोगियों में पाई जाने वाली बेहद सामान्य स्थिति है, जिसे स्पोंडिलोराथ्रोपैथीज कहा जाता है
एएस के लक्षण · सुबह के समय ज्यादा दर्द और पीठ के निचले हिस्से में अकड़न जोकि तकरीबन 45 मिनट तक रहती है · उपचार के बाद भी पीठ दर्द और जोड़ों में अकड़न जो 90 दिनों तक रहती है · पीठ, जोड़ों, कूल्हे और जांघों में एकाएक उठने वाला दर्द
मिथक 2: एएस पुरुषों में पाई जाने वाली एक बीमारी है
तथ्य : पिछले कुछ वर्षों तक एएस को मुख्यतः पुरुषों को प्रभावित करने वाला माना जाता था। हालांकि यह स्थिति विश्वभर में महिलाओं के बीच सबसे गलत ढंग से पहचानी और कम कर के आंकी गई है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, कई महिलाओं में एएस का पहला संकेत यूवाइटिस हो सकता है, जो पीठ दर्द के साथ या पहले हो सकता है। शोध यह भी इंगित करते हैं कि महिलाओं को उनकी गर्दन या जोड़ों जैसे घुटने और टखने में पुरुषों की तुलना में अधिक दर्द हो सकता है । महिलाओं में इससे जुड़ी अन्य स्थितियों जैसे कि सोरियाटिक आर्थराइटिस या इंफ्लैमेटरी बॉवेल डिजीज(आईबीडी) होने की अधिक संभावना हो सकती है।
मिथक 3: आप एएस के दर्द और दीर्घकालिक क्षति को रोक नहीं सकते
तथ्य : मध्यम से गंभीर एएस के मामले में, जब एनएसएआईडी अकेले राहत प्रदान नहीं कर सकती है, तो अगला कदम जैविक दवाएं हैं, जो एएस पीड़ितों के लिए एक शक्तिशाली उपचार योजना है। जैविक चिकित्सा से रोगियों को संरचनात्मक क्षति की गति कम करने में मदद मिलती है, जो केवल एनएसएआईडी और व्यायाम द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। एएस रोगियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने उपचार की योजना बनाने के लिए किसी रुमैटोलॉजिस्ट से परामर्श करें।
मिथक 4: एएस का उपचार हो सकता है और ‘आराम करना’ एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द का मुकाबला करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है
तथ्य : हालांकि, एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का कोई पूर्ण इलाज नहीं है। लेकिन इसको उचित उपचार और जीवनशैली में बदलाव के साथ प्रबंधित किया जा सकता है।
एएस से जुड़ा पीठ दर्द अन्य प्रकार के पीठ दर्द से भिन्न होता है। ज्यादा आराम करने से एएस की स्थिति खराब हो सकती है। शारीरिक गतिविधि और व्यायाम के साथ इसकी स्थिति में सुधार होता है। सक्रिय होना दरअसल, एएस को प्रबंधित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। इसलिए, अपने रुमैटोलॉजिस्ट से उन विशिष्ट व्यायामों के बारे में पूछें, जो आप सुविधाजनक ढंग से कर सकें।
मिथक 5: एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस केवल आपकी पीठ को प्रभावित करता है
तथ्य : एएस के रोगियों में पुराना पीठ दर्द बहुत आम है, क्योंकि यह मुख्य रूप से रीढ़ को प्रभावित करता है। हालांकि एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस अन्य जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है, जिसमें कंधे, पसलियां, कूल्हे, घुटने, पैर और पैर की उंगलियां शामिल हैं। एएस से सूजन आपके शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित कर सकती है। इसका असर पाचन तंत्र और आंखों पर हो सकता है, जिससे यूवाइटिस हो सकता है। कुछ मामलों में, एएस आपके फेफड़ों या हृदय को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, जितना जल्दी रोग की पहचान होगी, हम इस स्थिति को ज्यादा बेहतर ढंग से नियंत्रित कर पायेंगे।
(लेखक चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल्स में रुमैटोलॉजिस्ट विभाग में सीनियर कंसल्टेंट हैं। )