नई दिल्ली: बाईपोलर डिसऑर्डर एक तरह का अवसाद है जिसे सरल और संक्षेप में समझने के लिए एक ही लाइन काफी है 'कभी ख़ुशी कभी ग़म'। इस मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति का मन बदलता है आम बोल चाल की भाषा में जिसे मूड स्विंग भी कहते हैं। इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति कुछ दिनों या महीनों तक या तो बेहद दुखी रहता है या बेहद उत्साहित रहता है।
बाईपोलर एक चक्रीय अवस्था है, जिसमें व्यक्ति का मन बारी बारी से उदास या उत्साहित होता रहता है। इस अवस्था में यदि भाव उत्तेजना का स्तर अधिक हो जाता है तो उसे मैनिया या हाइपोमैनिया कहते हैं और यदि भाव उत्तेजना का स्तर कम हो जाए तो उसे डिप्रेशन कहते हैं। अक्सर बाईपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति इन्हीं दोनों अवस्थाओं के बीच झूलता रह जाता है। बाईपोलर डिसऑर्डर के विषय में विस्तार से जानते हैं।
बाईपोलर डिसऑर्डर के प्रकार -
मरीज़ के मन की अवस्था के आधार पर यह तीन प्रकार का होता है-
1. बाईपोलर । डिसऑर्डर- यदि मरीज़ के मन की उत्तेजना का स्तर कम है तो उसे बाईपोलर । डिसऑर्डर होता है। इस अवस्था में व्यक्ति अवसाद का शिकार हो जाता है। समय रहते अगर उपचार न किया जाए तो मरीज़ पागलपन की अवस्था में भी चला जाता है।
2. बाईपोलर ।। डिसऑर्डर- यदि मरीज़ के मन की उत्तेजना का स्तर अधिक हो, जिस कारण वह ज़्यादा उत्साहित या ऊर्जावान लगे तो उसे मैनिया या हाइपोमैनिया कहते हैं, बाईपोलर।। डिसऑर्डर है।
3. साइकिलोथेमिक बाईपोलर डिसऑर्डर- इस अवस्था में मरीज़ के मन के भाव बारी बारी से उदास और उत्तेजित क्रम चक्र में उत्पन्न होते रहते हैं। दोनों ही भाव 1-2 वर्षों की अवधि तक चलते रहते हैं। इस तरह की अवस्था का यदि समय रहते उपचार नहीं किया तो मरीज़ की मृत्यु होने की संभावना होती है।
बाईपोलर डिसऑर्डर के लक्षण
क्यों होता है बाइपोलर डिसऑर्डर ?
बाइपोलर डिसऑर्डर की कई वजहे हैं, लेकिन कुछ कारण ऐसे हैं जिनसे कभी इनकार नहीं किया जा सकता।
1. कुछ मनुष्य के मस्तिष्क के अंदर एक खास तरह की बिमारी पनपती है जिसे न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है। यह बिमारी मस्तिष्क के अंदर रसायनों के असंतुलन की वजह से होती है। यह बाइपोलर डिसऑर्डर को जन्म देने में मुख्य भूमिका निभाता है।
2. कई बार मनुष्य के मस्तिष्क में आपने भौतिक बदलाव भी देखा होगा। वैसे इसे बाइपोलर डिसऑर्डर का मुख्य कारण नहीं माना जाता है। लेकिन कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है।
3. कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में आ जाती हैंं। अगर परिवार में पहले से किसी को यह बीमारी हो तो यह दूसरों को होने की संभावना अधिक होती है।
बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीजों का इलाज संभव है। इन्हें अधिक देखभाल और एक संतुलित वातावरण की जरूरत होती है ताकि यह अपने आपको अकेला न महसूस करें। ऐसे मरीजों को किसी भी लक्षण के सामने आते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।