Rubella Virus Causes, Symptoms, Treatment: रूबेला एक संक्रामक वायरस है। इससे सावधान रहने के लिए जरूरी है की रुबेला के लक्षण और इसका इलाज जान लिया जाए. इसके आम लक्षण यह है की यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा के जरिए दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। रूबेला वायरस को जर्मन खसरा भी कहा जाता है। हालांकि यह वायरस, खसरा से अलग होता है लेकिन दोनों में कुछ समान लक्षण, जैसे लाल चकत्ते पाए जाते हैं। ज्यादातर लोगों में इसके हल्के या ना के बराबर लक्षण दिखाई देते हैं। यह वायरस केवल इंसानों में ही देखे गए हैं।
रूबेला वायरस के लक्षण
आमतौर पर रूबेला के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के दो से तीन सप्ताह के बीच दिखाई देते हैं। ये लक्षण 1 से 5 दिनों तक रह सकते हैं। रूबेला वायरस से संक्रमित व्यक्तियों में सबसे आम लक्षण शरीर पर दाने आना है। अक्सर लाल रंग के दाने चेहरे पर निकलते हैं फिर दाने पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इसके अलावा, इस वायरस के अन्य लक्षण हैं –
• 102 F (38.9 C) या उससे कम का हल्का बुखार
• सिर में दर्द होना
• जुकाम होना
• आंखें लाल या आंखों में खुजली होना
• जोड़ों में दर्द होना। यह लक्षण युवा महिलाओं में अक्सर देखा जाता है।
कैसे फैलता है रूबेला वायरस
यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक खांसने या छींकने से फैलता है। यह नाक और गले से संक्रमित बलगम के सीधे संपर्क में आने से भी फैल सकता है। इसके अलावा अगर गर्भवती महिलाएं इस वायरस से संक्रमित होती हैं तो उनके होने वाले बच्चे पर भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस वायरस की चपेट में आने वाला शख्स करीब 1 सप्ताह तक संक्रामक रहता है यानी वह दूसरों को वायरस तेजी से फैला सकता है।
गर्भवती महिलाओं, खास कर गर्भव्स्था के 20वें हफ्ते से पहले रूबेला वायरस से संक्रमित होना चिंता का विषय हो सकता है। इस वायरस का बुरा प्रभाव होने वाले बच्चे के विकास पर पड़ सकता है और उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि आंखों की समस्या ( मोतियाबिंद ), कानों से सुनाई कम देना, हार्ट की समस्याएं, मस्तिषक की समस्याएं आदि।
रूबेला का इलाज
रूबेला का कोई विशेष इलाज नहीं है। आमतौर पर इस वायरस के लक्षण 7 से 10 दिनों के भीतर खुद-ब-खुद खत्म हो जाते हैं। बुखार या दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर से सलाह के बाद दवाएं दी जा सकती हैं। रूबेला वायरस से बचने का सबसे सही उपाय एमएमआर वैक्सीन लगवाना है। यह वैक्सीन बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम के तहत दिया जाता है। बच्चों को इसकी पहली खुराक एक साल औक दूसरी खुराक ( बूस्टर डोज ) तीन से चार साल के बीच दी जाती है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता।)