देश में ऑक्सफोर्ड के टीके कोविशील्ड (Covishield) और भारतबायोटेक की कोवैक्सिन (Covaxin) को ड्रग कंट्रोलर ने तो इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है कोरोना से लड़ाई में इसे बड़ी जीत माना जा रहा है, अब सवाल ये सामने आ रहा है कि ये कबतक मार्केट में उपलब्ध होंगी और इन वैक्सीन की कीमत कितनी होगी, कोविशील्ड या कोवैक्सिन कौन सी वैक्सीन बेहतर है किसका असर ज्यादा समय तक रहेगा ऐसे तमाम सवाल लोगों के जेहन में आ रहे होंगे जिनका जबाव यहां जानने की कोशिश करते हैं।
कोवैक्सीन को देश में भारत बायोटेक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर विकसित किया है। वहीं सरकार ने पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को मंजूरी दे दी है। इससे न केवल स्वास्थ्यकर्मी और 'प्राथमिकता वाली' आबादी बल्कि निजी व्यक्ति भी काफी खुश हैं। वहीं सीआईआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला का कहना है कि कोविशील्ड पूरी तरह से सुरक्षित है।
कोविशील्ड को लेकर अदार पूनावाला का कहना है कि सरकार के लिए लगभग 100 मिलियन खुराक (10 करोड़) के लिए 200 रुपये प्रति शॉट की 'विशेष' कीमत है वहीं प्राइवेट बाजार में इसकी कीमत लगभग 1,000 रुपये होगी। पूनावाला ने कहा, 'हम आदेश के बाद सात से 10 दिनों में डिलीवरी शुरू करने की उम्मीद करते हैं। सरकार ने संकेत दिया कि है कि उन्हें महीने में 50-60 मिलियन खुराक या एक सप्ताह में 10-15 मिलियन खुराक की आवश्यकता होगी।' कहा जा रहा है कि वैक्सीन लगाने के बाद हो सकता है कि लोगों को एक-दो दिन बुखार आए, हल्का सिर दर्द हो, दो या तीन महीने बाद वैक्सीन की दूसरी डोज लगाई जाएगी।
वहीं कोवैक्सीन का विकास भारतीय चिकित्सा परिषद (ICMR) और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से किया है। हालांकि, वैक्सीन की आधिकारिक कीमत अभी नहीं बताई गई है, लेकिन माना जा रहा है कि इसकी कीमत कोविशील्ड के आसपास या उससे कुछ कम हो सकती है।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया वीजी सोमानी ने बताया है कि दोनों वैक्सीन 110 फीसदी सुरक्षित हैं। वीजी सोमानी के मुताबिक, 'अगर किसी वैक्सीन में सुरक्षा को लेकर थोड़ा सा भी चिंता का मामला होता है, तो हम उस वैक्सीन को अप्रूवल नहीं देते हैं।' सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड अपने तीनों चरण के ट्रायल में कोरोना वायरस के खिलाफ 70.42 फीसदी प्रभावकारी पाई गई है। वहीं, कोवैक्सीन के ट्रायल के दौरान मिले नतीजों में सामने आया है कि इस वैक्सीन की डोज लेने के बाद शरीर में दो तरह की इम्यूनिटी पाई गई।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन दो खुराक की वैक्सीन हैं यानि हर व्यक्ति को इसकी दो डोज एक निश्चित समयांतराल पर दी जाएंगी माना जा रहा है कि इसके हिसाब से देश के 30 करोड़ लोगों को कोरोना से बचाने के लिए वैक्सीन की करीब 60 करोड़ डोज की आवश्यकता होनी चाहिए हालांकि इसे लेकर कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगा।
बताया जा रहा कि देश के करीब 30 करोड़ लोगों को टीका लगना है वहीं देश के हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन ने बताया है कि 1 करोड़ हेल्थ केयर वर्कर और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर को मुफ्त टीका लगाया जाएगा मगर अभी यह साफ नहीं है कि इन तीन करोड लोगों का खर्च अकेले केंद्र सरकार उठाएगी या राज्य सरकारों को भी इसमें साझेदार बनाया जाएगा खैर ये मामला तो केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर सुलझा लेंगी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान के पहले चरण में हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 50 साल से ऊपर की उम्र के उन लोगों को वैक्सीन दी जाएगी, जो गंभीर रोगों से पीड़ित हैं बताते हैं कि देश में ऐसे लोगों की संख्या करीब 30 करोड़ है और सरकार का लक्ष्य है कि अगले 6 महीनों के भीतर इन सभी को कोरोना वायरस की वैक्सीन दे दी जाए।