कोरोनो टीके के दोनों डोज क्यों हैं जरूरी, क्या वैक्सीन लगने के बाद भी हो सकते हैं पॉजिटिव!

लोगों का मानना है कि दोनों डोज लगने के बाद वे कोरोना से संक्रमित नहीं होंगे। ऐसा सोचना पूरी तरह से ठीक नहीं है क्योंकि दोनों डोज लगने के बाद शरीर में एंटीबॉडी बनने में करीब चार से पांच सप्ताह का समय लगता है।

Why both dose of corona vaccine is necessary chances of positive after vaccination
कोरोनो के दोनों डोज क्यों हैं जरूरी, क्या वैक्सीन लगने के बाद भी हो सकते हैं पॉजिटिव!।  |  तस्वीर साभार: PTI

नई दिल्ली : भारत सरकार ने कोरोना टीकाकरण अभियान की तैयारी शुरू कर दी है। भारत के औषधि नियामक ने कोरोना के दो टीकों कोवैक्सिन और कोविशिल्ड के आपात इस्तेमाल की अनुमति दी है। सरकार ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि अगले 10 दिनों के भीतर देश में ये टीके लगने शुरू हो जाएंगे। उम्मीद है कि कोरोना का पहला टीका 13 जनवरी को लगेगा। कोरोना के टीकों को जिले स्तर तक पहुंचाने के लिए एक बड़ी कोल्ड चेन की व्यवस्था की गई है। कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तैयार करने के लिए कोरोना के दो डोज लगेंगे। 

लोगों को कोरोना के ये दोनों डोज लगवाने जरूरी हैं क्योंकि दोनों डोज मिलकर ही शरीर में एंटीबॉडी बनाने की प्रक्रिया तेज करेंगे। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन की पहली डोज मनुष्य के शरीर में एंटीबॉडी उत्पादन की प्रक्रिया को उत्तेजित करेगी जबकि दूसरा डोज एंटीबॉडी के उच्च स्तर को लंबे समय तक बनाए रखेगा। कोरोना से पूरी तरह सुरक्षा के लिए व्यक्ति को दोनों डोज लेने होंगे। 

दोनों डोज लगने के बीच में बरतें सावधानी 
लोगों का मानना है कि दोनों डोज लगने के बाद वे कोरोना से संक्रमित नहीं होंगे। ऐसा सोचना पूरी तरह से ठीक नहीं है क्योंकि दोनों डोज लगने के बाद शरीर में एंटीबॉडी बनने में करीब चार से पांच सप्ताह का समय लगता है। इसके अलावा दोनों डोज के बीच की अवधि में भी समय का अंतराल होता है। इसलिए इस दौरान व्यक्ति ने यदि सावधानी नहीं बरती तो उसे कोरोना वायरस की चपेट में आने का खतरा बना रहेगा। इसलिए जरूरी है कि शरीर में एंटीबॉडी बनने तक किसी तरह की लापरवाही न करें। शरीर में एक बार एंटीबॉडी बन जाने पर वय्क्ति दूसरे को संक्रमित नहीं कर पाएगा।

कोविशिल्ड और कोवैक्सिन तैयार
कोरोना से लड़ने के लिए बनाई गई कोविशिल्ड शरीर में जाने के बाद स्पाइक प्रोटीन को पहचानेगा और उसके खिलाफ इम्युन रेस्पांस तैयार करेगा। इसके बाद वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडी बनाएगी। भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सिन के ट्रायल्स केवल भारत में ही हुए हैं। पहले और दूसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल्स में कोवैक्सिन का सेफ्टी और इम्युनोलॉजेनेसिटी डेटा काफी अच्छा रहा है। कोवैक्सिन के तीसरे फेज का ट्रायल फिलहाल चल रहा है। 

देश में अभी 29,000 कोल्ड चेन प्वाइंट्स
इन टीकों को लोगों तक पहुंचाए जाने की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को दी। उन्होंने बताया कि टीके का निर्माण करने वाली कंपनियां हवाई मार्ग से अपने टीकों को मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और करनाल में सरकारी मेडिकल स्टोर डिपार्टमेंट डिपो पर पहुंचाएंगी। इसके बाद टीके राज्यों के 37 केंद्रों पर पहुंचाएं जाएंगे। फिर यहां से ये टीके जिले स्तर पर वैक्सीन स्टोर पर पहुंचेंगे। यहां से ये टीके प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं कोविड-19 प्रतिरक्षण केंद्रों को सौंपे जाएंगे। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि देश में अभी 29,000 कोल्ड चेन प्वाइंट्स हैं जहां पर मंजूरी प्राप्त कोविशील्ड एवं कोवैक्सीन टीकों को रखा जा सकता है। 
 

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