नई दिल्ली : पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए कम नींद लेना अधिक घातक हो सकता है। जी हां हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में औसतन 20 मिनट अधिक नींद की आवश्यकता होती है।
कोरोना वायरस के भयावह प्रकोप के कारण बीते दो साल से अधिकतर ऑफिसों में वर्क फ्रॉम होम चल रहा है, लोगों ने घर को ही ऑफिस बना लिया है। वहीं लॉकडाउन के दौरान लोग रातोदिन मोबाइल फोन और लैपटॉप से चिपके हुए हैं। ज्यादा देर स्क्रीन के सामने बिताना नींद कम आने का कारण बन सकता है।
नींद मानसिक शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्याप्त नींद ना लेने के कारण जीवन दर करीब 12 फीसदी कम हो जाता है। बता दें पुरुषों की तुलना महिलाओं के लिए कम नींद लेना अधिक घातक हो सकता है। जी हां हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में औसतन 20 मिनट अधिक नींद की आवश्यकता होती है।
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इंडियन एक्सप्रेस ने साल 2014 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में एक्सप्लोरिंग सेक्स एंड जेंडर डिफरेंसेस इन स्लीप हेल्थ की प्रकाशित एक रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि पुरुष और महिलाओं की पर्याप्त नींद के घंटे अलग अलग होते हैं। शोध के अनुसार पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अनिद्रा की समस्या 40 प्रतिशत अधिक होती है। वहीं पुरुषों को महिलाओं की तुलना में गहरी नींद आती है। एक्सपर्ट मानते हैं कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता होती है तथा नींद की कमी के कारण महिलाओं गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो सकती हैं।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक नींद की आवश्यकता क्यों है
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक नींद आती है। इसके लिए उनकी मल्टीटास्किंग की आदत सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। दिन भर तरह तरह के काम करने से उनके मस्तिष्क को रिकवर करने में ज्यादा समय लगता है। साथ ही परिवार में दूसरों की देखभाल करने के लिए महिलाओं को मध्यरात्रि में जागना पड़ता है, जिससे उनकी नींद बाधित होती है। इसके अलावा महिलाओं को दिन में झपकी लेने की आदत सबसे ज्यादा है, जिससे उनकी रात की नींद बाधित होती है। वहीं कई अध्ययनों के अनुसार पुरुषों और महिलाओं की जैविक संरचना उनके नींद पर सबसे ज्यादा असर डालती है।
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हार्मोनल असंतुलन: महिलाएं अपने जीवन में कई हार्मोनल परिवर्तनों से गुजरती हैं। जिससे उन्हें अतिरिक्त नींद की आवश्यकता होती है।
मानसिक स्वास्थ्य: पुरुषों की तुलना महिलाओं में अवसाद यानी डिप्रेशन से पीड़ित होने की संभावना दोगुनी होती है। भारत में महिलाओं को उनकी पेशेवर प्रतिबद्धताओं और घर की जिम्मेदारियों के कारण अधिक तनाव पड़ता है। ऐसे में तनाव को कम करने और डिप्रेशन की समस्या से दूर रहने के लिए अच्छी नींद की आवश्यकता होती है।
फिटनेस: रात में पर्याप्त नींद महिलाओं के पाचनतंत्र को दुरुस्त रखती है। तथा यह व्यायाम करने और घर का काम करने के लिए महिलाओं को ऊर्जा प्रदान करती है। लॉफबोरो युनिवर्सिटी यूके के शोधकर्ताओं के अनुसार मल्टीटास्किंग के कारण महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता होती है।
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नींद की कमी से महिलाएं हो सकती हैं गंभीर बीमारियों से ग्रसित
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक नींद की जरूरत होती है। रात में पर्याप्त नींद ना लेने के कारण महिलाओं में हार्ट अटैक, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेसर की समस्या अधिक होती है। साथ ही तनाव और डिप्रेशन का खतरा भी अधिक होता है। इतना ही नहीं नींद की कमी महिलाओं में क्रोध, चिड़चिड़ापन की समस्या को भी बढ़ा देती है। इससे भ्रम, थकान आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और जोश की कमी हो सकती है।
पर्याप्त नींद ना लेने के कारण महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से ग्रस्त हो सकती हैं। बता दें पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं ओएसए से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। इस दौरान एयरवे का एक हिस्सा बंद हो जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। लंबे समय तक नींद की कमी ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन या एलएच को प्रभावित करता है, जो ओव्यूलेशन को ट्रिगर करता है। जिससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। एक शोध के अनुसार प्रतिदिन 7 से 8 घंटे से कम नींद लेने वाली महिलाओं में गर्भधारण की संभावना 15 प्रतिशत कम होती है।
पीरियड के दौरान नींद ना आना
पीरियड के दौरान पेट में जर्द, ऐंठन और मूड स्विंग होने के कारण काफी बेचैनी होती है और रात में नींद कम आती है। वहीं प्रीमेंस्टुअल सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं के नींद की गुणवत्ता खराब होती है, जिससे इंसोम्निया की समस्या हो सकती है।
एक दिन में पर्याप्त नींद
एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम से कम 30 मिनट अधिक नींद की आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार महिलाओं को प्रतिदिन कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं के लिए
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की नींद अधिक बाधित होती है। इंट्रा पेट के दबाव के कारण डायाफ्राम पर दबाव पड़ता है। इस दौरान महिलाओं को गैस्ट्रोओसोफेगल रिफलक्स डिजीज (जीईआरडी) और रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (आरएलएस) महसूस होता है। खासकर पहली तिमाही के दौरान प्रोजेस्ट्रोन में स्पाइक के कारण नींद बाधित होती है। हालांकि महिलाओं को पर्याप्त नींद की कोशिश करना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार पर्याप्त नींद ना लेने वाली महिलाओं में प्रीक्लेम्पसिया, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और लंबे समय तक प्रसव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ये समस्या उन महिलाओं में अधिक देखी जाती है जो रात में 6 घंटे से कम नींद लेते हैं।
अच्छी नींद लेने के टिप्स
अपनी कुछ आदतों में सुधार कर नींद ना आने की समस्या को दूर किया जा सकता है। एक शोध के अनुसार रात में 1 घंटे की नींद की कमी से उबरने में हमारे शरीर को 4 दिन का समय लगता है।
लेकिन यदि आप लंबे समय से अनिद्रा का सामना कर रही हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।