प्रत्येक साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। अंगदान जीवन का सबसे बड़ा महापुण्य है। इससे दूसरे लोगों का जीवन को बचाया जा सकता है। यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों में अंगदान करने के प्रति जागरूकता फैले। डॉक्टर जिस व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित कर देते हैं उनका अंग दान किया जा सकता है। यह व्यक्ति किसी भी उम्र का हो सकता है। जन्म से लेकर 65 साल तक के व्यक्ति के अंगों को डोनेट किया जा सकता है।
जिन व्यक्ति का ब्रेन डेड हो जाता है। उसकी बचने संभावना नहीं के बराबर होती है। उनके अंगों का दान किया जा सकता है। अंगों में हृदय, ह्दय वॉल्व, फेफड़े, किडनी, लीवर ,अस्थ्यिां, कार्निया, आंख की पुतली, आंत, अस्थि ऊतक, त्वचा ऊतक, नसें, त्वचा, खून की नलियां इत्यादि दान किए जा सकते हैं। दान किए गए लीवर को 6 घंटे में ट्रांस प्लांट कर देना चाहिए। किडनी को 12 घंटे तक, पेंक्रियाज को 24 घंटे के भीतर, दिल को 4 घंटे के भीतर दूसरे व्यक्ति में प्लांट कर देना चाहिए। नेचुरल मौत पर हृदय के वॉल्व, हड्डी, नसें, त्वचा और कॉर्निया दान कर सकते हैं। डायबिटिज, कैंसर, हृदय रोगी, एचआईवी मरीज के भी अंग दान किए जा सकते हैं लेकिन डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। 18 साल के कम उम्र वालों के अंग दान करने के लिए मां-बाप की अनुमति जरूरी है।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति की वजह से अंगों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रत्यारोपित करना संभव बना दिया है और उन्हें स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम बनाता है। पहला सफल अंग प्रत्यारोपण 1954 में संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया था। डॉक्टर जोसेफ मरे ने 1990 में जुड़वां भाइयों रोनाल्ड और रिचर्ड हेरिक के बीच किडनी प्रत्यारोपण को सफलतापूर्वक करने के लिए फिजियोलॉजी और मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार जीता। अब देश और दुनिया में अंग प्रत्यारोपण बढ़ गए हैं। लोग अंग डोनेट भी कर रहे हैं।
भारत का अपना अंगदान दिवस है जो हर साल 27 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन, सरकार भारतीय नागरिकों को स्वेच्छा से अपने अंग दान करने और जीवन बचाने के लिए प्रोत्साहित करती है।