अगर आपने कोरोना वायरस महामारी (कोविड-19) से जुड़े लेटेस्ट अपडेट्स पढ़े हैं तो आपने जरूर जूनोटिक डिजीज के बारे में देखा सुना होगा। क्या है आखिर में ये जूनोटिक डिजीज। जूनोटिक डिजीज जिसे जूनोजेस भी कहा जाता है ये दरअसल जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी है। जानवर अपने साथ बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाइट्स लेकर चलते हैं जिससे इंसानों में इसका ट्रांसफर हो जाता है जिससे उनमें जूनोटिक डिजीज होता है। इसमें मरीज को गंभीर रुप से बुखार लगता है और वह मर भी सकता है।
जूनोटिक डिजीज दुनियाभर में अभी एक आम बीमारी हो गई है। हर 10 में से 6 लोग जानवरों से संक्रमित होते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक मनुष्यों को होने वाली सभी बीमारियों का 6.1 फीसदी जूनोटिक डिजीज है।
जूनोटिक डिजीज के प्रकार
रेबीज
स्वाइन फ्लू
कोरोना वायरस
मलेरिया
बर्ड फ्लू
इबोला
जीका फीवर
डेंगू
इंसेफ्लाइटिस
हैपेटाइटिस
रैट बाइट फीवर
जूनोटिक डिप्थेरिया
जूनोटिक डिजीज किस तरह फैलता है
डायरेक्ट कॉन्टैक्ट
अगर आप किसी संक्रमित जानवर के मूत्र, मल, उनके जख्म या फिर उनके लार के संपर्क में आते हैं तो आपमें ये बीमारी हो सकती है। अगर ऐसे किसी जानवर ने आपको काट लिया है या फिर आपका पालतू जानवर इस तरह के बीमारी से संक्रमित है तो आपमें भी ये बीमारी फैल सकती है।
इनडायरेक्ट कॉन्टैक्ट
जिन जगहों पर ऐसे जानवरों का आवागमन रहता है अगर उन जगहों से आप भी आवाजाही करते हैं तो अप्रत्यक्ष रुप से आप भी इस बीमारी से शिकार हो सकते हैं। इनमें एक्वेरियम टैंक वॉटर, पेड़ पौधे मिट्टी, पालतू जानवरों के भोजन इत्यादि आते हैं।
कीटाणु जनित
मच्छर या फिर उड़ने वाले कीटाणु जो पहले जानवरों को संक्रमित करते हैं इसके बाद इंसानों को संक्रमित करते हैं उनसे भी ये जानलेवा घातक बीमारी होने का खतरा है।
जल जनित
उन पानी में जो एक ही जगह पर जमा रहता है वहां पर अगर कीटाणु पनपने शुरू हो गए हैं और उस पानी का आप उपयोग करते हैं तो उससे भी जूनोटिक बीमारी होने का खतरा रहता है।
किन्हें है इस बीमारी का ज्यादा खतरा
पांच साल से कम उम्र के बच्चों को जूनोटिक बीमारी होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
इसके अलावा 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
वैसे लोग जिनमें इम्यूनिटी पावर कमजोर होता है उनमें भी इस बीमारी का खतरा होता है।
इसके अलावा प्रेग्नेंट महिलाओं में भी जूनोटिक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
जूनोटिक डिजीज से बचाव
दुनियाभर में जूनोटिक डिजीज का खतरा तेजी के साथ बढ़ रहा है जिससे इसे लेकर वैश्विक चिंता भी बढ़ गई है। इसका मुख्य कारण है जंगलों पर इंसानों का अतिक्रमण। महामारियों का विस्तार। जानवरों का शिकार।
जूनोटिक डिजीज से कैसे करें बचाव
जब भी आप अपने पालतू जानवरों के संपर्क में आएं अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं।
मच्छर, और कीटाणुओं के काटने से बचें
खाने पीने को लेकर खास तौर पर स्वच्छता बरतें। सीफूड और कच्चे मीट को खाने में काफी सावधानियां बरतें।
जानवरों के काटने से खुद को बचाएं
अपने घर पर अगर पालतू जानवर रखना है तो अच्छे जानवर का चुनाव करें जिससे ज्यादा इंफेक्शन का खतरा ना हो।
बिल्लियों को मल को रोजाना साफ करें। उन्हें रोजाना नहलाने की भी कोशिश करें।
किसी भी जानवर को अपने मुंह के करीब ना लाएं, उन्हें गले लगाने से उन्हें किस करने से परहेज करें।
बीमार जानवरों से दूर रहें।
जूनोटिक बीमारी के लक्षण
डायरिया, पेट में दर्द, नाक का बहना, उल्टियां, बुखार, बुखार, बदन दर्द, सिर दर्द और थकान आदि इस बीमारी के लक्षण हैं। डेंगू, मलेरिया और रेबीज जैसे बीमारी सबसे कॉमन जूनोटिक डिजीज हैं। मुर्गियां, सुअर, बछड़े, बकरियां, भेड़ और ऊंट इस बीमारी के सबसे ज्यादा वाहक हैं।