Diet in pregnancy: प्रेग्नेंसी में डायबिटीज से हो सकता है खतरा, इन खास आहारों से करें खुद की रक्षा

हेल्थ
Updated Mar 05, 2019 | 18:01 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Diet in pregnancy: प्रेग्नेंसी की शुरुआत में कुछ परेशानियां आम होती हैं, लेकिन कई बार कुछ दिक्कतें समय के साथ बढ़ती जाती हैं। कांस्टिपेशन, फिशर और हाई बीपी के अलावा डायबिटीज भी होने का खतरा प्रेग्नेंसी में रहता

Diet in pregnancy
Diet in pregnancy  |  तस्वीर साभार: Thinkstock

Precations in pregnancy: प्रेग्नेंसी एक अवस्था है जिसमें मां के स्वास्थ्य पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। पेट में पल रहे बच्चे के न्यूट्रीएंट्स को पूरा करने के लिए डाइट का इनबैलेंस्ड होने के साथ ही हार्मोनल बदलाव के कारण कुछ ऐसी बीमारियां भी लग जाती है जो समान्यत: गंभीर होती है। कई बार कुछ बीमारियां डिलेवरी के बाद सही हो जाती है लेकिन कुछ बीमारियां हमेशा के लिए रह जाती हैं। 

ऐसे में ये बहुत जरूरी है कि प्रेग्नेंसी के दौरान न्यूट्रीएंट्स पाने के लिए बहुत कुछ खाना या कुछ भी खाते रहना सहीं नहीं होता। मां और शिशु दोनों ही स्वस्थ रहे इसके लिए जरूरी है कि मां का खानपान ऐसा हो जो शिशु का विकास करे और मां को बीमारियों से दूर रखे। प्रेग्नेंसी में डायबिटीज और कुछ अन्य बीमारियों से बचने के लिए आइए जाने कैसी डाइट रखनी चाहिए।

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पांचवे महीने से रखें विशेष ख्याल

  1. प्रेग्नेंसी के अकसर पांचवे महीने में डायबिटीज, फिशर, हाई बीपी या कांस्टिपेशन की दिक्कत आनी शुरू होती है। इस समय होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं।
  2. अगर आपके परिवार में डायबिटीज है या आपका वेट ज्यादा है या फिर आपके पिछले बच्चे का वेट जन्म के समय 4 केजी से ज्यादा रहा है तो आपको डायबिटीज का खतरा ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा डायबिटीज का कारण आपका खानपान भी हो सकता है।
  3. डाइट जो आपको डायबिटीज और अन्य बीमारियों से बचाएंगे
  4. प्रेग्नेंसी में कम कैलोरी लेकिन ज्यादा न्यूट्रीशियस फूड खाना चाहिए। ऐसा नहीं है कि आपके ज्यादा खाने से बच्चे का विकास तेज होगा बल्कि आपके कुछ भी या ज्यादा कैलोरी वाले खाने से आपके बीमार होने की संभावना ज्यादा होगी।
  5. प्रेग्नेंसी की दूसरी या तीसरी तिमाही से ही आप अपनी डाइट में कैलोरी कम करना शुरू करें बल्कि उसकी जगह फलों, बीन्स, साबूत अनाज और डेयरी प्रोडक्ट को शामिल करें। प्रोटीन करीब 45 प्रतिशत तक कर के कार्बो को घटा कर 25 तक ले आएं।
  6. प्रेग्नेंसी में हाई फाइबर, पूरे अनाज वाले कार्बोहाइड्रेट ही खाएं। रोटी, चावल, पास्ता, अनाज, आलू, मटर, मक्का, फल, फलों का रस, दूध, दही, कुकज, कैंडी में कार्बोहाइड्रेट बहुत होता है, इसलिए इससे दूर रहें। गाजर, ब्रोकोली, और पालक में कार्बोहाइड्रेट और प्रचुर मात्रा में फाइबर होता हैं इन्हें डाइट में शामिल करिए। ये खाद्य पदार्थ धीरे पचते हैं, अधिक स्वस्थ होते हैं और ग्लूकोज के स्तर में तीव्र वृद्धि को रोकते हैं।
  7. मल्टीग्रेन रोटी, साबूतअनाज, सेम, राजमा, चना,ब्राउन राइस या उसना चावल, और हरी सब्जियां डाइट में शामिल करें। इन खाद्य पदार्थ में विटामिन, फाइबर, खनिज और स्वस्थ कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होते हैं।
  8. तेल, घी, मक्खन, मार्जरीन, सलाद ड्रेसिंग, और डेसर्ट कम से कम खाएं।
  9. फल और सब्जियों में प्रचुर आहार खाएं क्योंकि उनमें खूब विटामिन, खनिज और फाइबर होता है। फ्रोजन या डिबाबंद की तुलना में ताजा फलों और सब्जियों को ही खाएं
  10. नाश्ते में सीमित ओट्स, मुसली, योगहर्ट अंडा खाएं। दही के साथ चिया सीड या बादाम जरूर खाएं। चाहें तो आप अच्छे से पेट के खाएं। यानी ग्रिल चिकन या पनीर आदि। ताकि आपका पेट देर तक भरा रहे।

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तो, प्रेग्नेंसी में डाइट पर ध्यान दे कर ही आप अपने आपको भी बीमारी से बचा सकती हैं और शिशु का विकास भी बेहतर कर सकती हैं।

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