नई दिल्ली: केरल में फैले निपा वायरस को लेकर आई रिपोर्ट्स से पता चला है कि वायरस फैलने की मुख्य वजह चमगादड़ नहीं है। इस वायरस की वजह से केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में 12 लोगों की मौत हो गई हैं। भोपाल भेजे गए चमगादड़ के नमूनों के परीक्षण में निपा वायरस के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है। पशुपालन विभाग ने परीक्षण के लिए 21 नमूने भेजे थे। इनमें से, तीन नमूने अकेले चमगादड़ से एकत्र किए गए थे। ये नमूने सबिथ के यहां से पाए गए थे, जो कि निपा वायरस के शुरुआती पीड़ितों में से था।
इसके अलावा, जानवरों के नमूने जो बुखार सहित बीमारी का कारण बन सकते हैं परीक्षण के लिए भी भेजे गए थे। भोपाल की रिपोर्ट के अनुसार, नमूने में वायरस की उपस्थिति का पता नहीं चला है। अभी तक इस बीमारी के प्रसार के पीछे चमगादड़ पर संदेह किया जा रहा था।
पशुपालन विभाग का कहना है कि निपा वायरस प्रकोप के स्रोत को ढूंढना आसान नहीं होगा। चमगादड़ में एनआईवी वायरस प्राकृतिक तौर पर पाया जाता है, जिससे यह दूसरे जानवरों और इंसानों में जा सकता है।
निपा वायरस सामान्यत: बड़ी चमगादड़ और सुअर के माध्यम से मनुष्यों में फैलने वाला संक्रामक रोग है। निपा के सामान्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, शरीर दर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, दस्त, बेहोशी, सुस्ती आना आदि शामिल हैं।
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इस वायरस के प्रसार के लिए फ्रूट बैट प्रजाति के चमगादड़ को जिम्मेदार माना जाता है। उड़ने में सक्षम यह चमगादड़ पेड़ पर लगे फलों को खाकर संक्रमित कर देता है और जब लोग इन्हें खा लेते हैं तो वे भी संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। ऐसे मे कहा गया है कि पेड़ों से गिरे व कटे-फटे फलों को बिल्कुल न खाएं।
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