केरल में स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2022) पर एक प्रोग्राम में नेता, कार्यकर्ता और लेखकर विनायक दामोदर सावरकर से मिलते-जुलते कॉस्ट्यूम में छात्र के पहुंचने पर विवाद पनप गया। मामला तब और गर्मा गया, जब सियासी दलों ने इसे मुद्दा बनान की कोशिश और एक्शन की मांग की।
दरअसल, यह पूरा मामला मलप्पुरम जिले के एक सरकारी स्कूल का है। वहां आजादी के अमृत महोत्सव के बीच 15 अगस्त पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस बीच, वहां एक छात्र कथित तौर पर वी डी सावरकर की तरह तैयार होकर भाग लेने पहुंचा, जिसे लेकर विवाद छिड़ गया।
सावरकर जैसे 'हुलिए' में बच्चे का फोटो वायरल
स्थानीय समाचार चैनलों के कार्यक्रमों में धुंधली तस्वीरें प्रसारित की गईं, जिसमें सावरकर के कास्ट्यूम में स्टूडेंट समेत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के भेष में बच्चे तैयार दिखे। समारोह में स्वतंत्रता सेनानी की तरह तैयार हुए एक बच्चे की पोशाक पर वी डी सावरकर लिखा था। इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद विवाद खड़ा हुआ। स्थानीय मीडिया ने बताया कि यह तस्वीर उस कक्ष से ली गई, जहां छात्र तैयार हो रहे थे। विवाद उठने की आशंका के कारण बच्चे की पोशाक से सावरकर का नाम हटा दिया गया।
कपड़ों पर लिखा था- वीडी का नाम, हटाया गया
स्कूल पीटीए अध्यक्ष के अनुसार, एक बच्चा सावरकर की तरह पोशाक पहन कर आया था। उसके कपड़ों पर कागज की एक पट्टी लगी थी, जिस पर सावरकर नाम लिखा था। जैसे ही बच्चे ग्रीन रूम से बाहर निकल कर आए टीचरों ने इस चीज पर ध्यान दिया। बाद में उस पर्ची को हटा दिया गया। स्कूल अफसरों से इस बाबत स्पष्टीकरण के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
सियासी दलों ने उठाई मांग- हो सख्त एक्शन
उधर, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की युवा शाखा मुस्लिम यूथ लीग और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार (16 अगस्त, 2022) को कीझूपरम्बा में सरकारी व्यावसायिक उच्च माध्यमिक विद्यालय की ओर विरोध मार्च निकाला और बच्चे को सावरकर की वेशभूषा में तैयार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
कौन थे वीडी सावरकर?
28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के भागुर में जन्मे वीडी सावरकर को अपनी हिंदूवादी सोच के लिए जाना जाता था। वह हिंदू महासभा से ताल्लुक रखते थे। वह दयानंद सरस्वती, हर्बर्ट स्पेंसर और गुइसेप्पे मज्जिनी से प्रभावित थे। उनके बताए और दिखाए रास्ते की वजह से वीडी को उनके समर्थकों का एक धड़ा आज भी उन्हे हीरो मानता है, जबकि आलोचकों का एक वर्ग उन्हें विलन बताता आया है। (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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