नई दिल्ली : कोरोना वायरस के प्रकोप से हर एक हिंदुस्तानी लड़ रहा है। यह अलग बात है कि प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से की लड़ाई एक-दूसरे से अलग है। लॉकडाउन के दौरान कोरोना वायरस से लड़ाई के अलग-अलग रूप देखने को मिल रहे हैं। देश में कामकाज ठप है और लोगों की दिनचर्या बदल गई है। इन सबके बावजूद जिंदगी कहीं रुकी नहीं है। रफ्तार धीमी ही सही लेकिन वह चल रही है। लॉकडाउन से उपजी चुनौतियां एवं कठिनाइयां लोगों के इरादों को डिगा नहीं पाई हैं। घर जाना है तो जाना है। भले ही सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही क्यों न तय करना पड़े।
दरअसल, बात है दिल्ली के एंड्रिउज गंज इलाके में छोले भटूरे बेचने वाला शांति पाल की। शांति पाल एंड्रिउज गंज में छोले-भटूरे की दुकान लगाता है लेकिन राजधानी में लॉकडाउन हो जाने से काम धंधा बंद हो गया। उसके पास अब काम करने के लिए कुछ नहीं था। ऐसे में उसे घर लौटने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं था। शांति पाल का घर यूपी के बदायूं में पड़ता है। घर जाने के लिए परिवहन का कोई साधन नहीं मिला तो वह पैदल ही सफर पर निकल पड़ा। दिल्ली से बदायूं की दूरी करीब ढाई सौ किलोमीटर है। शांति पाल का कहना है कि उसने कल से कुछ नहीं खाया है और उम्मीद है कि अगले दिन बदायूं पहुंच जाएगा।
शांति पाल ने कहा, 'मैं दिल्ली के एंड्रिउज गंज इलाके में छोले-भटूरे बेचता हूं। वहां से मैं अपने बदायूं स्थित घर के लिए निकल पड़ा हूं। मुझे उम्मीद है कि मैं कल तक घर पहुंच जाऊंगा। मैंने कल से कुछ भी नहीं खाया है।'
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की। पीएम ने कहा कि 21 दिनों तक देश में पूरी तरह से लॉकडान रहेगा। पीएम ने देश में जरूरी वस्तुओं की कमी नहीं होने देने का वादा किया। साथ ही उन्होंने लोगों से अपने घरों में रहने की अपील की। देश में परिवहन व्यवस्था भी पूरी तरह से बंद है। सीमाओं को सील कर दिया गया है। ऐसे में जो जहां पर है वह वहीं पर रहने के लिए बाध्य है।
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