पंजाब-राजस्थान के बाद अब इस राज्य की बारी ! कांग्रेस आलाकमान पर नजर

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Nov 22, 2021 | 20:06 IST

Congress Crisis: पंजाब, राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस आलाकमान सर्जरी कर सकता है। पंजाब और राजस्थान के जरिए आलाकमान ने साफ कर दिया है कि राज्यों में उसकी ही चलेगी।

Sonia gandhi and Rahul gandhi
सोनिया गांधी की सक्रियता बढ़ी  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पिछले एक डेढ़ साल से नेताओं के बीत खींचतान चल रही है।
  • राजस्थान में मंत्रिमंडल गठन में सचिन पायलट समर्थकों को जगह मिली है। साथ ही उन्हें नई भूमिका मिल सकती हैं।
  • छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव के बीच सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान जारी है।

नई दिल्ली:  करीब सवा साल बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शुरू हुई खींचतान अब शांत होती नजर आ रही है। इन 15 महीनों में पहली बार सचिन पायलट के बगावती तेवर नहीं दिख रहे हैं। और उन्होंने नए मंत्रिमंडल गठन के बाद प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि कुछ कमियां थीं, वो अब पूरी हो गईं हैं। साथ ही उन्होंने इसके लिए सोनिया गांधी, अशोक गहलोत और अजय माकन को शुक्रिया भी कहा। साफ है कि सचिन पायलट न केवल राजस्थान कैबिनेट में अपने समर्थकों को शामिल करा लिया है। बल्कि उन्होंने अपनी भूमिका को लेकर आलाकमान से स्पष्टता ले ली है।

असल में राजस्थान दूसरा राज्य है, जहां पर आलाकमान ने हस्तक्षेप कर चुनावों से पहले पार्टी में खींचतान खत्म करने की कोशिश की है। इसके पहले पंजाब में आलाकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर सख्ती दिखाई थी। जिस तरह से कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब और राजस्थान के मामले में हस्तक्षेप किया है, उसे देखते हुए ऐसी संभावना है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव की बीच सीएम की कुर्सी की खींचतान को खत्म करने का रास्ता निकल सकता है।

पंजाब और राजस्थान से क्या संदेश

पंजाब और राजस्थान में आलाकमान ने हस्तक्षेप कर कई अहम संदेश दिए हैं। मसलन पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू विवाद के बीच आलाकमान ने सिद्धू को तरजीह देते हुए न केवल कैप्टन अमरिंदर सिंह को साइडलाइन किया, बल्कि सिद्धधू की मंसूबे पर पानी फेरते हुए दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया। इसी तरह राजस्थान में भी अशोक गहलोत और सचिन पायलट को संदेश दिया है कि किसी एक की नहीं चलेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सबसे अहम संदेश यह दिया गया है कि सरकार में वन-मैन शो नहीं रहेगा। उनकी कुर्सी रहेगी लेकिन सबको मिल-जुल करना रहना होगा। साथ ही सचिन पायलट के करीबी लोगों मंत्रिमंडल में जगह दी तो गई  है लेकिन केवल उनकी नहीं चली है। उन्हें भी संदेश है कि 2023 के समीकरण पर ध्यान रख कर काम करना होगा। इसीलिए जाट-अनुसूचित जनजाति  से पांच-पांच तो अनुसूचित जाति से चार मंत्री बनाए गए हैं। 

सचिन पायलट की क्या होगी भूमिका

पार्टी के एक नेता का कहना है सचिन पायलट राजस्थान के प्रमुख नेता हैं, वह राजस्थान के लिए अशोक गहलोत के साथ मिलकर काम करेंगे। हालांकि इनके अलावा पायलट को राज्य के बाहर भी पार्टी इस्तेमाल करेगी। मसलन मध्य प्रदेश उप चुनावों में पार्टी ने चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी थी। इसी तरह आगामी उत्तर प्रदेश चुनावों में भी पार्टी के लिए काम कर सकते हैं। साथ ही उन्हें संगठन में केंद्रीय स्तर पर अहम पद भी दिया जा सकता है। इसकी तस्वीर जल्द साफ हो सकती है। 

इस बीच राजस्थान के विधायक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार रामकेश मीणा ने सचिन पायलट को राजस्थान की राजनीति से बाहर करने की मांग की है। मीणा  पायलट पर पार्टी का बंटाधार करने का आरोप लगा रहे हैं और उन्हें नुकदायक बता रहे हैं। मीणा ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि अगर पायलट राजस्थान में ना होते तो पार्टी को 150 से ज्यादा सीटें मिलती। मीणा ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए सचिन पायलट ने कई नेताओं के टिकट काटे। जाहिर है अभी भले ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट सब-कुछ ठीक होने के संकेत दे रहे हैं, लेकिन उनके समर्थकों तक अभी यह संदेश पहुंचना बाकी है।

छत्तीसगढ़ में भी कुर्सी की लड़ाई जारी

पंजाब और राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव की बीच सीएम की कुर्सी के लिए लड़ाई जारी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार 2018 में जब सरकार बनी थी, तो दोनों नेताओं के बीच ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले के आधार पर सीएम बनाने का फैसला आलाकमान ने किया था। और अब इसी के तहत सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच खींचतान जारी है। हाल यह है कि बात दिल्ली तक पहुंच चुकी हैं। और राज्य में दोनों नेताओं के समर्थक आपस में लड़ रहे हैं। अक्टूबर महीने में इस तरह की जशपुर और बिलासपुर जिले में ऐसी घटनाएं हो चुकी है। इसे देखते हुए संभावना है कि आलाकमान अब छत्तीसगढ़ में भी सर्जरी कर सकता है।

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