Coronavirus: एयर इंडिया के कैप्‍टन की जुबानी, कितना मुश्किल था 'ऑपरेशन वुहान'

देश
श्वेता कुमारी
Updated Feb 01, 2020 | 16:19 IST

चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच वुहान से 324 भारतीय नागरिकों को लेकर एयर इंडिया का विशेष विमान भारत पहुंच गया है। एयर इंडिया के कैप्‍टन ने बताया यह अभियान कितना मुश्किल था।

Air India's captain Amitabh Singh narrates how big challenge it was to evacuate Indians from contagious Wuhan
वुहान जाने वाले बचाव टीम की अगुवाई एयर इंडिया के परिचालन निदेशक कैप्टन अमिताभ सिंह ने की  |  तस्वीर साभार: ANI

नई दिल्‍ली : चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच भारत ने वुहान से अपने 324 नागरिकों को बाहर निकाल लिया है। एयर इंडिया का विशेष विमान बी747 भारतीय नागरिकों को लेकर शनिवार (1 फरवरी, 2020) सुबह करीब 7:30 बजे पहुंचा, जिनमें तीन नाबालिग, 211 छात्र और 110 कामकाजी पेशेवर शामिल हैं। और अधिक भारतीय नागरिकों को चीन से लाने के लिए भारतीय विमान दोपहर 1:37 बजे वुहान के लिए रवाना हुआ।

बचाव टीम की अगुवाई एयर इंडिया के परिचालन निदेशक कैप्टन अमिताभ सिंह ने की। उनके नेतृत्‍व में 20 सदस्‍यीय टीम को वुहान रवाना किया गया था। उन्‍होंने बताया कि यह बचाव अभियान कितना मुश्किल रहा और टीम के सदस्‍यों ने वायरस के संक्रमण को लेकर अपने डर पर कैसे काबू पाया। इस दौरान चिकित्‍सकों की एक टीम भी उनके साथ रही।

(तस्‍वीर साभार: पीटीआई)

दिल्‍ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सकों ने टीम के सदस्‍यों को बताया कि वे कैसे अपने को संक्रमण से दूर रह सकते हैं। इस वायरस के संक्रमण से बचने के लिए पहले ही लोगों को मास्‍क पहनने और कई तरह की सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। ऐसे में भारतीय नागरिकों को लाने वाली टीम ने खुद को सुरक्षित रखने के उद्देश्‍य से पूरी तरह पैक नजर आई।

वुहान और उसके आसपास के इलाके में फंसे भारतीयों को विभिन्‍न यूनिवर्सिटी से सीधे वाणिज्यदूतावास लाया गया और वहां से वुहान एयरपोर्ट भेजा गया, जहां एयर इंडिया का विशेष विमान उतरा था। एयर इंडिया का विशेष विमान जब वहां उतरा तो एयरपोर्ट पर एक या दो ही विमान थे। इसी तरह पूरा एयरस्‍पेस भी तकरीबन खाली ही रहा।

(तस्‍वीर साभार: एपी)

जिन लोगों को एयर इंडिया के विशेष विमान से भारत लाया गया है, उनके लिए दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के छावला इलाके में 600 बिस्तरों की सुविधा वाला अलग चिकित्‍सा केंद्र भी स्थापित किया गया है, जहां उन्हें अनिवार्य रूप से 14 दिनों तक रखा जाएगा। यहां यह देखा जाएगा कि चीन से लौटने वाले किसी भी शख्‍स में संक्रमण का कोई लक्षण तो नहीं दिखाई दे रहा।

यहां उल्‍लेखनीय है कि कैप्‍टन अमिताभ पहले भी इस तरह के अभियानों का हिस्‍सा रह चुके हैं। अगस्‍त 1990 में जब मध्‍य पूर्व में युद्ध छिड़ गया था तब भी वह उन दो पायलटों में से एक थे, जिन्‍होंने बड़ी संख्‍या में इराक और कुवैत में फंसे भारतीय नागरिकों को बाहर निकाला। कश्‍मीर में जब बाढ़ ने तबाही मचाई थी, तब भी वह घाटी से प्रभावित लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने वालों में रहे थे।

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