बीजिंग/इस्लामाबाद : चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बीच भारत ने वुहान में फंसे अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए विशेष विमान भेजा, जो शनिवार को दिल्ली भी लौट आया। एयर इंडिया के इस विशेष विमान के जरिये 324 लोगों को वुहान से वापस लाया गया है, जिन्हें 14 दिनों तक गुड़गांव के मानेसर में एक पृथक केंद्र में रखा जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें किसी तरह की संक्रमण है या नहीं।
भारत के इस कदम के बाद चीन में पढ़ाई कर रहे पाकिस्तानी छात्रों ने भी देश लौटने की इच्छा जताई है। टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर वे बता रहे हैं कि किस तरह चीन से उनके 'भारतीय दोस्त' सुरक्षित बाहर निकाले जा रहे हैं, लेकिन उन तक कोई मदद नहीं पहुंच रही है। इसमें वे चीन से कई अन्य देशों के छात्रों के भी बाहर निकलने की बात कहते हुए उन्हें भी बाहर निकालने की गुहार लगा रहे हैं।
हालांकि पाकिस्तान की ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। इन छात्रों का कहना है कि वुहान और आसपास के इलाकों में उनकी संख्या करीब 3,000 के आसपास है, जो मदद का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र हैं, जो इस मामले में अपनी सरकार के उदासीन रवैये से निराश व हताश हैं। उनका कहना है कि उन्हें चीन स्थित पाकिस्तानी दूतावास से भी मदद नहीं मिल रही है।
चीन में पाकिस्तान के चार छात्रों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद उनमें खौफ और बढ़ गया है। डरे हुए छात्रों का यह भी कहना है कि संक्रमण से बचने के लिए बहुत से छात्र एक ही कमरे में बंद रहने को मजबूर हो गए हैं। वे वीडियो के जरिये मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं, जिसमें उनकी रोती आवाज भी सुनी जा सकती है। लेकिन पाकिस्तान की सरकार अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए आगे नहीं आ रही।
उनका यह भी कहना है कि वे बहुत दबाव में हैं और उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा कि वे क्या करें। बार-बार अपील के बावजूद पाकिस्तानी दूतावास से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही और उन्हें बस चीन के नियमों का पालन करने के लिए कहा जा रहा है। उनका कहना है कि यहां कई पाकिस्तानी परिवार भी हैं, जिनमें 6 साल की उम्र के बच्चे भी हैं, जो इस संक्रमण को लेकर अधिक संवेदनशील हैं, पर उन्हें भी मदद नहीं मिल रही।
इन छात्रों का कहना है कि भले ही लोगों को घर से नहीं निकलने की सलाह दी जा रही है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर यह संभव नहीं होता, क्योंकि उन्हें खाने-पीने की चीजों और अन्य सामानों के लिए घर से निकलना ही होता है। उनका कहना है कि चीन की ओर से भी उन्हें बहुत मदद नहीं मिली है, बल्कि उन्हें सिर्फ मास्क और थर्मामीटर ही उपलब्ध कराए गए हैं। आखिर केवल मास्क से कैसे बचाव सुनिश्चित किया जा सकता है?