नई दिल्ली: साल 2015 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर चांदनी चौक से विधायक निर्वाचित होने वाली अलका लाबां ने इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनावी दंगल में उतरी थीं। ऐसे में उन्हें आप से बगावत भारी पड़ गईं। एनएसयूआई के साथ राजनीतिक शुरुआत करने वाली अलका लांबा के लिए कांग्रेस में वापसी भारी पड़ गई। उन्हें आप उम्मीदवार के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा। पिछली बार जीत हासिल करने वाली अलका 2 हजार वोट भी हासिल नहीं कर पाईं। ऐसे में उन्होंने जो बयान दिया उसे हिंदी साहित्य के अनुसार रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया जैसा कहा जा सकता है।
आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार प्रहलाद सिंह साहनी के सामने कांग्रेस उम्मीदवार अलका लांबा कहीं नहीं टिक सकीं। वोटों की गिनती पूरी होने से पहले ही अलका ने हथियार डाल दिए और ट्वीट कर अटल बिहारी वायपेयी के अंदाज में कह दिया कि हार नहीं मानूंगी। अलका से इतर भाजपा उम्मीदवार सुमन कुमार गुप्ता भी आप उम्मीदवार के सामने नहीं टिक पाए। दोपहर एक बजे तक आप उम्मीदवार को 23, 281 वोट और भाजपा उम्मीदवार को 5371 वोट मिले थे। वहीं अलका लांबा केवल 1229 वोट हासिल कर सकी थीं।
ऐसे में अलका ने ट्वीट किया, मैं परिणाम स्वीकार करती हूं पर हार नहीं। हिंदू मुस्लिम वोटों का पूरी तरह ध्रुवीकरण किया गया। कांग्रेस पार्टी को अब नए चेहरों के साथ एक नई लड़ाई और दिल्ली की जनता के लिए एक लंबे संषर्ष के लिए तैयार होना पड़ेगा।' आज लड़ेंगे तो कल जीतेंगे भी।
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