Vaccination in India after 21 June: हमारी देश की टीकाकरण नीति पर शुरू से सवाल उठे हैं। कभी कहा गया कि वैक्सीन सभी के लिए हो, कभी सवाल उठा कि वैक्सीन की उपलब्धता कम है, कभी टीकाकरण अभियान की गति पर सवाल उठे। दूसरी लहर के दौरान जब देश में हाहाकर मच रहा था, तब तो टीकाकरण नीति और भी ज्यादा सवालों के घेरे में आ गई। बाद में सरकार ने 21 जून से नई नीति लागू करने ऐलान किया। पहले ही दिन इसकी शुरुआत भी धमाकेदार हुई। देशभर में एक दिन में 90 लाख से ज्यादा डोज लगीं। हर तरफ इसकी वाहवाही होने लगी। लगने लगा अब वैक्सीनेशन ड्राइव तेजी पकड़ लेगी।
लेकिन कुछ दिन बाद ही जिस तरह के आंकड़े आने लगे वो इस अभियान को सवालों के घेरे में खड़ा करने वाले हैं। दरअसल, 21 जून के बाद किसी भी दिन उस दिन के आंकड़े के आस-पास डोज नहीं लगीं। इससे सवाल खड़े होने लगे कि...
Cowin पर सरकारी आंकड़ों पर आप नजर डालेंगे तो जान पाएंगे कि 21 जून के बाद किस तरह टीकाकरण अभियान में गिरावट आई है।
जहां 21 जून के बाद टीकाकरण अभियान को सिर्फ ऊपर जाना चाहिए था वहीं वो धीरे-धीरे नीचे आ रहा है। हालांकि 21 जून से पहले जो अभियान चल रहा था, वो इससे भी धीरे था। ऐसे में कहा जा सकता है कि हमारे टीकाकरण अभियान में अभी भी काफी कमी है। इसी बीच देश के कई राज्यों से ये भी खबरें आने लगीं कि वैक्सीन की कमी के चलते टीकाकरण केंद्र बंद करने पड़ रहे हैं।
देश में अभी तक 33 लाख से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। 27 लाख से ज्यादा लोगों को पहली डोज लग चुकी है, जबकि 6 लाख के करीब लोगों को दूसरी डोज भी लग गई है। इन आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि देश कि 5% से भी कम जनसंख्या को वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं। वहीं 20% से ज्यादा जनता को अभी पहली डोज मिली है। कई देशों ने अपने देश की बड़ी आबादी को वैक्सीनेट कर लिया है। ऐसे में हमें जरूरत है कि हम इसमें तेजी लेकर आए और ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या को जल्द से जल्द वैक्सीनेट करें।
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