हैदराबाद (तेलंगाना): ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को उन लोगों से आग्रह किया जो नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ हैं वे इस 'काले कानून' बीजेपी को मैसेज देने के लिए अपने घरों पर तिरंगा फहराएं। ओवैसी ने हैदराबाद में दारुस्सलाम में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जो भी नागरिक रजिस्टर (NRC) और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के खिलाफ हैं, उन्हें अपने घरों के बाहर तिरंगा फहराना चाहिए। इससे बीजेपी को संदेश जाएगा कि उन्होंने एक गलत और 'काला' कानून बना दिया है। ओवैसी की रैली में जुटे लोगों ने संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ी।
ओवैसी ने लोगों से शांति बनाए रखने और इस कानून के खिलाफ अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ मुसलमानों की नहीं है, यहां तक कि दलितों, एससी और एसटी की भी है। मैं कैसे देशद्रोही हूं? मैं च्वाइस और जन्म से भारतीय हूं। उन्होंने आगे लोगों से कहा कि 'संविधान बचाओ दिवस' आयोजित करें।
उधर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों लादीदा सखालून और आयशा रेना ने इस रैली में असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा किया। केरल की रहने वाली ये दो लड़कियां दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के विरोध का चेहरा बन गई थीं। नवगठित कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस को चुनौती देने वाले लादीदा और आयशा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
हैदराबाद के दारुस्सलाम में रैली में बोलते हुए, आयशा ने कहा कि मैं उन सभी प्रदर्शनकारियों की रिहाई की मांग करती हूं, जिन्हें पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया है। मैं सभी गैर-बीजेरी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) की प्रक्रिया को रोकने का अनुरोध करती हूं। लादीदा ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि न्याय के लिए हमारी लड़ाई अन्य धर्मों, विचारधाराओं और समुदायों के लोगों से सार्थक एकजुटता के बिना पूरी नहीं होती है।
संसद द्वारा नागरिकता (संशोधन) बिल 2019 को मंजूरी दिए जाने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न से भागकर 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाइयों को नागरिकता देता है।
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