नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में शनिवार सुबह ट्रक और एक डीसीएम मेटाडोर (ट्रक से छोटा वाहन) की टक्कर में 25 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हुए। इन दोनों वाहनों में ज्यादातर पश्चिम बंगाल और झारखंड के मजदूर सवार थे। इस हादसे में घायल हुए एक मजदूर ने मजदूरों की दर्दनाक कहानी बयां की।
'नवभारत टाइम्स' के अनुसार, राजस्थान में संगमरमर की एक खदान में काम करने वाले पश्चिम बंगाल के गुड्डू हादसे में बच गए। उन्होंने बताया कि उसके 5 दोस्तों का कुछ पता नहीं है। लॉकडाउन के कारण कोई काम नहीं था और खाने की समस्या बढ़ने लगी थी। हम 40 लोगों ने घर लौटने का फैसला किया। बस से एक दिन पहने सभी लोग भरतपुर पहुंचे थे। राजस्थान पुलिस ने रोक लिया और आगे नहीं जाने दिया।
गुड्डू ने आगे बताया, 'बाद में काफी मिन्नतों के बाद पुलिसवालों ने माल से लदे एक ट्रक में उन सभी को चढ़ा दिया। बस से जाने से मना कर दिया।' रो-रोकर उसने अपनी आपबीती सुनाई और कहा कि सुबह शायद 2:30-3 बजे थे। किसी को नींद आ रही थी तो कोई भूख से बिलबिला रहा था। कुछ लोगों के पास रोटियां थीं। फिर तय हुआ कि आगे जो ढाबा मिलेगा, उसमें रुककर रोटियां बांटेंगे और खा लेंगे। तभी अचानक हादसा हो गया। रोटियां तो नसीब में नहीं हैं। मजदूर हैं न हम, मरेंगे ही।
यह हादसा इतना जबरदस्त था कि दोनों वाहन पलट कर नजदीक के एक गड्ढे में जा गिरे। गौरतलब लॉकडाउन के दौरान पैदल ही अपने-अपने गृहनगरों की ओर निकले कई मजदूर सड़क दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं। सरकारों के प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के तमाम इंतजाम के बीच भी लोग पैदल या फिर खतरा मोल लेकर घरों की ओर रुख कर रहे हैं।
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