कहते हैं ना सच देर से सही सामने ज़रूर आता है काशी में ज्ञानवापी मस्जिद में जो सर्वे तीन दिनों तक चला उस सर्वे ने ज्ञानवापी मस्जिद की सच्चाई देश के सामने रख दी है । आज तो हिंदू पक्षकार सोहन लाल आर्य ने दावा कर दिया है कि मस्जिद में महादेव मिल गए, इस दावे ने हिंदू पक्षकारों के केस को मजबूत कर दिया। ज्ञानवापी के बाद अब मथुरा के हिंदू पक्षकारों की भी उम्मीद बढ़ गई है । हिंदू पक्षकार अब जल्द से जल्द कोर्ट से मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने और सर्वे की मांग कर रहे हैं क्योंकि जिस तरह से ज्ञानवापी में महादेव मिले हैं उन्हें उम्मीद है कि शाही ईदगाह के नीचे उनके कान्हा हैं?
शाही ईदगाह मस्जिद की जगह कभी भगवान श्रीकृष्ण का भव्य और दिव्य मंदिर हुआ करता था उसके सबूत भी हिंदू पक्षकार दिखाते हैं वो सबूत 'टाइम्स नाउ नवभारत' के कैमरे में भी कैद हुए हैं जिन्हें देखकर आपको भी हैरानी होगी।
वर्ष 1395 यानी आज से करीब 625 साल पहले का ये मथुरा का MAP है चकबंदी के इस मैप में जमीन संख्या 825 श्रीकृष्ण जन्मभूमि है । ये मैप उस वक्त का है, जब मथुरा में श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर हुआ करता था और उसके आस-पास कहीं भी किसी की मस्जिद की जमीन नहीं है। मथुरा के चकबंदी के सवा 6 सौ साल पुराने मैप के बाद एक और सबूत मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक साबित करता है ।
सन 1424 का ये सरकारी रिकॉर्ड है । 13.37 एकड़ वाली पूरी जमीन पर मंदिर का जिक्र है । उसके आस-पास की जमीन पर कहीं भी मस्जिद का जिक्र है ही नहीं है ।
इसी के साथ एक सरकारी दस्तावेज है खतौनी का दस्तावेज। सन 1424 के इस दस्तावेज में भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि का जिक्र है। यानी अब तक 3 सरकारी दस्तावेजों में से किसी भी कागज में शाही ईदगाह का जिक्र तक नहीं है। यानी आज से सैकड़ों साल पुराने सरकारी दस्तावेज साफ-साफ बता रहे हैं कि मथुरा में मंदिर के ठीक बगल में कोई मस्जिद थी ही नहीं...कुछ था तो वो सिर्फ श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर था।
औरंगजेब के मंदिर तोड़ने से पहले पूरे 13.37 एकड़ में एक भव्य श्रीकृष्ण मंदिर था। उस मंदिर का नाम था कटरा केशव देव मंदिर। दावा है कि मंदिर इतना ऊंचा था कि दीवाली के दिन मंदिर पर दीयों की रोशनी होती थी तो वो रोशनी आगरा के किले से साफ नजर आती थी ।
मथुरा के पंडित गोपेश्वर का दावा है कि औरंगजेब मंदिर की भव्यता देखकर परेशान था और इसीलिए उसने मथुरा के कटरा केशव देव मंदिर को तोड़ने का फरमान जारी कर दिया ।
जनवरी 1670 का औरंगजेब का उर्दू आदेश भी है, जिसमें साफ लिखा है कि मथुरा के मंदिर को तोड़कर मूर्तियों को बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में लगाया जाए, दावा तो ये है कि आज भी मस्जिद की सीढ़ियों पर मंदिर से निकले विग्रह मौजूद हैं, यहां के जो विग्रह हैं उनको यहां से उठाकर औरंगजेब आगरा ले गया था। आगरा के लालकिले में छोटी बेगम की मस्जिद है उसकी सीढ़ियों में विग्रह लगा दिया था, वो आज भी लगे हैं। सीढ़ियों से चढ़ते-उतरते थे इसीलिए कलंकित करने के लिए लगाया था ।
'टाइम्स नाउ नवभारत' के पास कुछ और दस्तावेजी सबूत हैं जो ये साबित करेंगे कि जिस जगह आज शाही ईदगाह मस्जिद है सन 1670 से पहले वहां मस्जिद का नामो निशान नहीं था।
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