Bagmati Train Accident 1981: 40 साल पहले ट्रेन हादसे में काल के गाल में समा गए थे 800 लोग, कई कहानी

देश
ललित राय
Updated Jun 06, 2021 | 06:00 IST

भारतीय रेल के इतिहाल में हादसों की लंबी फेहरिश्त है। लेकिन 6 जून 1981 को बागमती ट्रेन हादसे को भूला पाना आसान नहीं है। उस हादसे के बारे में तरह तरह की बातें कहीं जाती हैं।

Bagmati Train Accident 1981: 40 साल पहले ट्रेन हादसे में काल के गाल में समा गए थे 800 लोग, कई जुबां, कई कहानी
6 जून 1981 को बागमती नदी में पैसेंजर ट्रेन गिरी थी जिसमें 800 लोगों की गई थी जान  |  तस्वीर साभार: YouTube
मुख्य बातें
  • 6 जून 1981 को बागमती ट्रेन हादसे में 800 से अधिक लोगों की गई थी जान, सरकारी आंकड़ा 300 का
  • मानसी- सहरसा रेलखंड पर पैसेंजर ट्रेन उफनती बागमती नदी में जा गिरी थी
  • ज्यादातर लोगों की मौत नदी में डूब जाने के वजह से हुई, भारतीय रेल के इतिहास में बड़े हादसे में शामिल

40 साल पहले वो तारीख 6 जून की ही थी। बिहार के खगड़िया जिले में मानसी- सहरसा रेल खंड पर बदला घाट और धमारा घाट के बीच रेल हादसे में 800 से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए हालांकि सरकारी आंकड़ा 300 का था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में वो अलग तरह की दुखद घटना थी जिससे बरबस हर साल 6 जून की दुखद याद ताजी हो जाती है। 1981 के जून महीने की 6वीं तारीख आज भी उन परिवारों को पीड़ा दे जाती है जिन लोगों ने अपनों को खोया था। पैसेंजर ट्रेन के 9 डिब्बे में नदी में गिर गए थे जिसमें 1 हजार से ज्यादा लोग सवार थे। खास बात यह है कि इस हादसे के बारे में सही कारण क्या थे आज तक पता नहीं चल सका है। 

जब बागमती नदी में गिर गई ट्रेन
6 जून को शाम के वक्त मानसी से पैसेंजर ट्रेन सहरसा की तरफ जा रही था। बागमती नदी के पुल संख्या 51 से ट्रेन आगे बढ़ रही थी लेकिन ट्रेन लहराकर उफनती हुई बागमती नदी में गिर गई। मरने वालों की संख्या में महिलाएं और बच्चे ज्यादा थे।जिन लोगों की मौत हुई थी उसमें ज्यादातर लोगों को तैरने नहीं आता था। जो लोग बच गए वो जब उस मंजर के बारे में बताते हैं तो रूह कांप जाती है। कुछ लोग विशुद्ध तौर पर ड्राइवर की लापरवाही बताते हैं तो कुछ लोग कहते हैं कि जिस तरह की परिस्थिति थी उसमें हादसे को टालना असंभव था। 

हादसे के लिए कौन था जिम्मेदार
लोग कहते हैं कि आंधी और बारिश दोनों थी। ट्रेन अपनी लय में सहरसा की तरफ बढ़ रही थी। आंधी से बचने के लिए ट्रेन की खिड़कियों को यात्रियों ने बंद कर लिया था। ट्रैक पर एकाएक मवेशी आ गए और उन्हें बचाने के लिए ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया था और उस दौरान ट्रेन लहराकर नदी में गिर गई। अब सवाल यह है कि क्या इमरजेंसी ब्रेक के इस्तेमाल से ट्रेन नदी में गिर गई।

इस सवाल के जवाब में कुछ अंधिविश्वास है तो कुछ वैज्ञानित तथ्य। कुछ लोग कहते हैं कि वो अभिशापित पुल था। बहुत बार उस पुल पर छोटे मोटे हादसे सुनने को मिलते थे। हालांकि इसका कोई आधार नहीं है। इसके इतर कहा जाता है कि जब सभी यात्रियों ने ट्रेन के दरवाजों के साथ खिड़कियों को बंद कर लिया तो उसकी वजह से ट्रेन आंधी के दबाव को नहीं झेल सकी। ट्रेन स्पीड में थी और इमरजेंसी ब्रेक लगा तो ट्रेन अनियंत्रित होकर पुल से गिर गई। 

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