पटना : अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को निकालने के लिए राज्य अपनी व्यवस्थाएं बनाने लगे हैं और कुछ ने तो बसें भी रवाना कर दी हैं लेकिन बिहार की नीतीश सरकार व्यावहारिक दिक्कतें गिनाने लगी है। बिहार सरकार का कहना है कि वह बसों से अपने कुल प्रवासी मजदूरों को निकाल पाने की स्थिति में नहीं है। बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने बिहार के मजदूरों को निकालने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की है।
मंत्री ने कहा, 'दूसरों राज्यों में बिहार के मजदूर और छात्र बड़ी संख्या में हैं। इन्हें निकालने के लिए हमने केंद्र सरकार से विशेष ट्रेन चलाने की मांग की है। बसों के जरिए यदि हम छात्रों और मजदूरों को निकालते भी हैं तो यह केवल एक तिहाई होगा। बिहार के लोग महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य जगहों पर हैं। इन लोगों को सुरक्षित गृह राज्य लाना जरूरी है।'
उन्होंने कहा, 'दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों को स्क्रीनिंग की जाएगी और उन्हें ब्लॉक स्तर पर 21 दिनों तक क्वरंटाइन में रखा जाएगा। बिहार सरकार ने इसके लिए डॉक्टर, ठहरने और भोजन का प्रबंध किया है। प्रवासी लोगों के स्वास्थ्य की नियमित रूप से जांच की जाएगी। जांच में स्वस्थ पाए जाने के बाद ही उन्हें घर जाने की इजाजत दी जाएगी।'
पहले लॉकडाउन में संशोधन की बात कही थी
बिहार सरकार की इस नई मांग से प्रवासी मजदूरों के अपने गृह राज्य आने की राह कठिन हो सकती है। दरअसल, गत 27 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई थी और इस बैठक में नीतीश कुमार ने प्रवासियों का मुद्दा उठाया। इस बैठक में नीतीश ने कहा कि केंद्र सरकार यदि लॉकडाउन में संशोधन करती है तो वह अन्य राज्यों से अपने प्रवासी लोगों को निकालने के लिए तैयार है। सरकार ने अब छूट दे दी है लेकिन अब बिहार सरकार व्यावहारिक दिक्कतें गिना रही है।
नीतीश को घेर रही राजद
प्रवासी मजदूरों पर अपने रुख में बदलाव करने पर बिहार की विपक्षी पार्टियां नीतीश सरकार को निशाने पर लेने लगी है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रवासी मजदूरों की वापसी को राजनीतिक मुद्दा बना रही है। पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव राज्य सरकार को घेरने में जुटे हैं। राजद सुप्रीम लालू यादव ने भी ट्विटर पर पोस्ट के जरिए नीतीश सरकार पर निशाना साधा। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का मुद्दा वहां की सियासत को गरमा सकता है।
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