बीजेपी नेताओं ने दिल्ली में हार की वजह बताई, चुनावी फ्रेम से कांग्रेस थी गायब और केजरीवाल का चला जादू

देश
ललित राय
Updated Feb 15, 2020 | 00:50 IST

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से बीजेपी के हाथ निराशा लगी। बीजेपी के नेता हार की समीक्षा कर रहे हैं और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कांग्रेस कहीं चुनाव में थी ही नहीं और उसका असर पार्टी पर हुआ।

बीजेपी नेताओं ने दिल्ली में हार की वजह बताई, चुनावी फ्रेम से कांग्रेस थी गायब और केजरीवाल का चल गया जादू
दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं मनोज तिवारी 
मुख्य बातें
  • दिल्ली चुनाव 2020 में बीजेपी को मिलीं 8 सीटें और वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ
  • आम आदमी की सीटों में कमी आई लेकिन 62 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत बरकरार
  • 2015 की तरह 2020 में भी कांग्रेस का खाता नहीं खुला, वोट शेयर में भी कमी आई

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के खत्म होने के बाद जब एग्जिट पोल्स के नतीजे जब सामने आए तो सबका अनुमान यही था कि केजरीवाल एक बार फिर सरकार बनाने जा रहे हैं। लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि बीजेपी 48 सीट से ज्यादा जीतने जा रही है और ट्वीट संभाल कर रख लीजिए। सबके मन में आशंका से भरा हुआ विश्वास था कि शायद ऐसा हो सकता है। लेकिन आठ फरवरी को दिल्ली की जनता ने तय कर लिया था कि उनका अगला निजाम कोई और नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल हैं, सिर्फ तीन दिन के इंतजार की बात थी

गृहमंत्री ने भी माना कि विवादित नारों का हुआ गलत असर
एग्जिट पोल्स के तीन दिन बाद जब औपचारिक नतीजों का ऐलान हुआ तो बीजेपी के नेताओं के पास बोलने के लिए कुछ नहीं था। 2015 की तुलना में सीट संख्या और वोट प्रतिशत में इजाफा जरूर हुआ था। लेकिन सरकार बनाने का सपना धरा का धरा रह गया। Times Now Summit 2020 में गृहमंत्री ने कहा कि बीजेपी नेताओं की तरफ से जो विवादित बयान और नारे दिए गए वो हार की वजहों में एक हो सकते हैं। लेकिन दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने पुख्ता वजहों को बताया कि इस वजह से दिल्ली हार गए।


'कांग्रेस का चुनावी सीन में न होना हार की वजह'
मनोज तिवारी कहते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस कहीं दिखी नहीं। अगर कांग्रेस मजबूती से लड़ी होती तो तस्वीर कुछ और होती। 2020 का चुनावबाइपोलर हो गया यानि कि दो पार्टियों के बीच सिमट कर रह गया और खामियाजा भुगतना पड़ा। कांग्रेस पार्टी अगर 2015 की तरह करीब 10 फीसद मतों को सहेज पाने में कामयाब रही होती तो नतीजा कुछ और आया होता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

'फ्री, फ्री के जरिए केजरीवाल ने चुनावी फसल तैयार की'
चुनावी हार की समीझा में छोटे और बड़े नेताओं ने  कहा कि केजरीवाल ने जिस तरफ फ्री का कार्ड खेला उसकी वजह से मतदाताओं का एक ऐसा वर्ग तैयार हुआ जिसे पाले में लाना मुश्किल हो गया। जबकि कुछ विचारकों का कहना है कि शाहीन बाग की वजह से हम लोग अपने संकल्प पत्र को जनता के सामने सही तरह से नहीं रख सके।
 
केजरीवाल ने विवादित नारों को बनाया हथियार
इसके साथ ही केजरीवाल के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी हुई उसका उन्होंने फायदा उठाया। दिल्ली की जनता को यह समझाने में कामयाब रहे कि उनका मान मर्दन किया जा रहा है। अपने पक्ष में अकाट्य तर्क पेश कर यह साबित किया कि बीजेपी न केवल नकारात्मक राजनीति कर रही है। बल्कि उनके बहाने दिल्ली की जनता का अपमान कर रही है। खास तौर से लोगों ने केजरीवाल को जब आतंकी और नकली हनुमान भक्त कहा गया तो लोगों ने माना कि दिल्ली के सीएम को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है। 

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