UP Election :300+ सीट और 50 फीसदी वोट, भाजपा का मंथन कितना आएगा काम !

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Sep 03, 2021 | 20:20 IST

यूपी में भाजपा को 2017 के चुनावों में 40 फीसदी वोट के साथ 312 सीटें मिली थीं। वहीं लोक सभा चुनावों में एनडीए गठबंधन को 50 फीसदी सीटें मिलीं थी।

Yogi Adityanath, Amit Shah
फाइल फोटो: भाजपा ने 2022 के लिए मंथन शुरू कर दिया है।  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • राम मंदिर, धारा-370, राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे भाजपा के एजेंडे में खास तौर से रहेंगे।
  • भाजपा की ओबीसी (OBC) और दलित वोटर में अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश है।
  • BJP बनारस में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करने जा रही है। जिसमें यूपी के लिए रणनीति तैयार होगी


नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी अब पूरी तरह से एक्शन मोड में आ गई है। इसके लिए न केवल पार्टी ने अपनी तैयारियों को अंतिम रुप देना शुरू कर दिया है बल्कि उसके मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने भी मंथन शुरू कर दिया है। इसके तहत पार्टी अक्टूबर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करेगी। इसके अलावा विभिन्न जातियों के मतदाताओं को लुभाने के लिए सम्मेलन से लेकर बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को मजबूत करने की रणनीति बन रही है।

300 से ज्यादा सीटों के लिए 50 फीसदी वोट

भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी ने 2022 के विधान सभा चुनावों के लिए 300 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। और इसके लिए 50 फीसदी से ज्यादा वोट जुटाने की तैयारी है। पार्टी में इस लक्ष्य को पाने के लिए बड़े स्तर पर मंथन चल रहा है। भाजपा को 2017 के चुनावों में 40 फीसदी वोट के साथ 312 सीटें मिली थीं। जबकि लोक सभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 50 फीसदी सीटें मिलीं थी। पार्टी के एक नेता के अनुसार "यूपी चुनाव हमेंशा से काफी जटिल होते हैं। यहां पर जाति आधारित वोटिंग बड़े पैमाने पर होती है। पार्टी की कोशिश है कि सभी वर्गों को साधकर 50 फीसदी वोट का लक्ष्य हासिल किया जाय। अगर ऐसा होता है तो 300 पार का लक्ष्य पाना मुश्किल नहीं होगा।" इसके तहत राम मंदिर, राष्ट्रवाद, धारा-370 जैसे मुद्दों के साथ दूसरे अहम मुद्दों पर फोकस किया जाएगा

बनारस में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक

इसी कड़ी में भाजपा अक्टूबर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करने जा रही है। भारतीय अनुसूचित जाति मोर्चे के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि 18-19 अक्टूबर को होने वाले बैठक मे दलित वोटर को साधने पर खास जोर रहेगा। प्रदेश में 20-21 फीसदी दलित हैं, जिनमें गैर जाटव मतदाताओं में पासी, धोबी, कोरी, वाल्मीकि, गोंड, खटिक, धानुक जैसे दलित हैं। जिनकी कुल दलितों में 40-45 फीसदी हिस्सेदारी है। भाजपा अपने इस वोट बैंक को जहां मजबूत करना चाहती है। वहीं जाटव वोटों में सेंध लगाना चाहती है। जिसके लिए कार्यकारिणी की बैठक  में अहम फैसले लिए जा सकते हैं।

ओबीसी मतदाताओं पर फोकस

भाजपा की सफलता का सबसे बड़ा राज ओबीसी वोटर रहे हैं। प्रदेश में करीब 52 फीसदी ओबीसी आबादी है। जिस पर अब समाजवादी पार्टी, कांग्रेस नजर गड़ाए हुए हैं। दोनों पार्टियों ने चुनावों के मद्देनजर ओबीसी सम्मेलन या उनके मतदाताओं से मिलने जुलने की प्रक्रिया तेज कर दी है। ऐसे में भाजपा भी अगले दो महीनों में 60 के करीब ओबीसी सम्मेलन की तैयारी में है। साथ ही बैकडोर से वह सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर से दोबारा गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है। यही नहीं वह निषाद पार्टी और अपना दल को भी अपने साथ जोड़े रखना चाहती है। इसके अलावा जिस तरह से जातिगत जनगणना का मुद्दा विपक्ष बना रहा है, उसे देखते हुए पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। पार्टी के एक अन्य सांसद के अनुसार आने वाले दिनों में सभी जातियों को लक्ष्य बनाकर पार्टी आगे बढ़ेगी। इसके लिए सम्मेलन भी किए जाएंगे।

आरएसएस भी कर रहा मंथन

आरएसस की 3 सितंबर से कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक शुरू हो गई है। जिसमें उत्तर प्रदेश सहित 5 राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनावों पर खास तौर से चर्चा होगी। इस बैठक में संघ से जुड़े सभी अनुषंगी संगठनों के लोग भाग लेते हैं। इसके तहत भारतीय जनता पार्टी के अलावा भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी भाग ले रहे हैं। इसके तहत उत्तर प्रदेश में बूथ लेवल तक कैसे वोटर को जोड़ा जा सके और किसान आंदोलन और कोविड-19 जैसे मुद्दों पर आगे की रणनीति क्या रहेगी, इस पर मंथन किया जाएगा।

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