नई दिल्ली। राजीव गांधी फाउंडेशन इन दिनों चर्चा में है, चर्चा में होने के पीछे की वजह भी दिलचस्प है, जिस चीन को लेकर राहुल गांधी रोज सरकार से सवाल कर रहे हैं उसी चीन से डोनेशन लेने का आरोप लगा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा कहते हैं कि 2005 से लेकर 2009 तक फाउंडेशन को चीनी दूतावास से दान मिला। टैक्स हैवेन के लिए मशहूर लक्जेमबर्ग से यह दान 2006 से 2009 के बीच मिला। इससे किस तरफ इशारा जाता है। साफ है कि एनजीओ और कंपनियों का फाउंडेशन से गहरा नाता था।
आरटीआई और कैग ऑडिट के दायरे से बाहर था आरजीएफ
उन्होंने कहा कि दोनों एक दूसरे की जरूरतों को पूरी कर रहे थे, यू कहें तो एक दूसरे के हितों में बराबर के भागीदार थे। जे पी नड्डा ने सवाल पूछा कि आखिर राजीव गांधी फाउंडेशन ने कैग ऑडिट से क्यों इंकार किया। आखिर फाउंडेशन के ऊपर आरटीआई के कानून क्यों नहीं लागू होते थे। किसी विदेशी शक्ति से व्यक्तिगत ट्रस्ट में पैसे लेना देश के हितों को बलिदान करने वाली बात थी। देश आज इस बात को जानना चाहता है कि राजीव गांधी फाउंडेशन और चीनी सरकार के बीच किस तरह की गुफ्तगू हुई थी।
मेहुल चोकसी से कैसे थे रिश्ते
जे पी नड्डा संगीन आरोपों की झड़ी लगाते हुए पूछते हैं कि आप ने यानि राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए मेहुल चोकसी ने डोनेशन क्यों लिया और बाद में उन्हें कर्ज दिया। देश जानना चाहता है कि मेहुल चोकसी और राजीव गांधी फाउंडेशन के बीच क्या रिश्ता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग मौजूदा सरकार पर आरोप लगाते हैं कि लेकिन जो हकीकत सामने आ रही है देश, गांधी परिवार से कई सवालों का जवाब चाहता है। अगर सवाल पूछना उनका अधिकार है तो सवालों का जवाब भी देना चाहिए।
कमलनाथ पर साधा निशाना
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि कमलनाथ मे ईस्ट एशिया एफटीए से किस तरह के वादे किए थे जबकि चीन उसमें मौजूद था। सबसे बड़ी बात यह है कि जब एफटीए के साथ इनकी बातचीत आगे बढ़ी तो उस समय चीन का ट्रेड डेफिसिट 36.2 बिलियन बढ़ चुका था। क्या यह सब महज इसलिए हो रहा था कि चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन को दान दिया था।
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