CAA: अगले महीने से लागू हो सकता है नागरिकता संशोधन कानून: कैलाश विजयवर्गीय

देश
किशोर जोशी
Updated Dec 06, 2020 | 12:54 IST

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि जनवरी 2021 से देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू हो सकता है।

BJP's Kailash Vijayvargiya says CAA Likely To Be Implemented From January
जनवरी 2021 से लागू हो सकता है CAA: कैलाश विजयवर्गीय 
मुख्य बातें
  • विजयवर्गीय बोले- अगले महीने लागू हो सकता है नागरिकता संशोधन कानून
  • तृणमूल कांग्रेस की सरकार शरणार्थियों के प्रति हमदर्दी नहीं रखती - विजयवर्गीय
  • भाजपा पश्चिम बंगाल के लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है- टीएमसी

बारासात (पश्चिम बंगाल): भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार को कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम अगले साल जनवरी से लागू होने की संभावना है क्योंकि केंद्र और भगवा पार्टी (BJP) पश्चिम बंगाल में  बड़ी संख्या में रह रहे शरणार्थियों की आबादी को नागरिकता देने की इच्छुक है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस शरणार्थियों के प्रति हमदर्दी नहीं रखती है।

अगले साल जनवरी से शुरू होगी प्रक्रिया 

राज्य के उत्तर 24 परगना जिले में पार्टी के 'आर नोय किसी' (कोई और अधिक अन्याय नहीं) अभियान के तहत पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'हमें उम्मीद है कि सीएए के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया अगले साल जनवरी से शुरू होगी।' उन्होंने कहा, 'केंद्र ने पड़ोसी देशों से हमारे देश में आने वाले शरणार्थियों को नागरिकता देने के ईमानदार इरादे से सीएए पास किया है।'

वेवकूफ बना रही है बीजेपी- टीएमसी
कैलाश  विजयवर्गीय की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता और राज्य मंत्री फरहाद हकीम ने कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल के लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। आपको बता दें कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता संशोधन कानून के मुताबिक भारत की नागरिकता मिल सकती है।

क्या है सीएए
यह कानून पड़ोसी देशों से धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को सुरक्षा एवं भारतीय नागरिकता की पेशकश करता है। अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय सात साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।

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