नई दिल्ली। भारत के अल्पसंख्यक समाज खासतौर से मुस्लिम समाज को इस बात का डर है कि सीएए और प्रस्तावित एनआरसी से उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी। सीएए के विरोध में देश के अलग अलग हिस्सों में लोग सड़कों पर उतरे हैं जिनमें ज्यादातर लोगों को सीएए के बारे में जानकारी ही नहीं है। लेकिन इन सबके बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जो उन लोगों के लिए जवाब है जो सड़कों पर उतर कर व्यवस्था को खुली चुनौती देने में जुटे हुए थे।
पाकिस्तान की रहने वाली मुस्लिम समाज की हसीना बेन को गुजरात के द्वारका में भारतीय नागरिकता दी गई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हसीना बेन ने एक साल पहले भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था। हसीना मूल रूप से भारतीय थीं लेकिन पाकिस्तानी शख्स से शादी करने के बाद पाकिस्तानी नागरिक के रूप में वो 1999 से वहीं रह रही थीं। अपने पति की मौत के बाद हसीना भारत वापस आ गईं। कई वर्षों तक भारत में रहने के बाद उन्होंने 2018 में नागरिकता के लिए आवेदन किया और तमाम प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद उन्हें 18 दिसंबर 2019 को नागरिकता दे दी गई।
द्वारका के डीएम नरेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि सामान्य प्रक्रिया के तहत उन्हें नागरिकता प्रदान की गई है जिसकी सुविधा हर किसी शख्स को हासिल है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई विदेशी शख्स लंबी अवधि वाली वीजा पर भारत में प्रवास करता है तो वो भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि अब तो आवेदन के लिए ऑनलाइन सुविधा भी उपलब्ध है, इसके साथ ही समस्त दस्तावेजों के परीक्षण के बाद कोई भी शख्स 6 महीने के अंदर भारतीय नागरिकता हासिल कर सकता है।
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