नई दिल्ली : भारत सहित दुनिया के कई देश कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से अब भी गुजर रहे हैं तो कई देशों में महामारी की तीसरी लहर भी दस्तक दे चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित तमाम राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियां महामारी के खतरों को लेकर आगाह कर रही हैं, जिसमें चिंता मुख्य रूप से कोरोना वायरस के सामने आ रहे नए-नए वैरिएंट्स को लेकर है। इन सबके बीच अर्थव्यवस्थाओं को खोलना आर्थिक व विकासात्मक गतिविधियों के लिए जरूरी है तो मजबूरी भी। लेकिन सबसे बड़ी चिंता जिस चीज ने पैदा की है, वह है लोगों का बेपरवाह रवैया।
भारत ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों में इस तरह की बेपरवाही देखी जा रही है। लोग पार्टियों, पिकनिक स्पॉट, पर्यस्थल स्थल पर जिस बड़ी तादाद में पहुंच रहे हैं और कोविड नियमों का धड़ल्ले से उललंघन कर रहे हैं, उसने बड़ी चिंता पैदा की है। मनाली में जिस तरह पर्यटकों की भीड़ देखी गई, वह इसकी एक बानगी भर है। हिमाचल प्रदेश में शिमला, कुफरी, नरकंडा, डलहौजी, लाहौल सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर भी कमोवेश ऐसी स्थिति देखी गई, जिसने प्रशासन के माथे पर बल ला दिया और आनन फानन में सख्ती के निर्देश जारी किए गए।
हिमाचल के पर्यटन स्थलों पर दिखी भीड़ ने कई अन्य पहाड़ी राज्यों को भी सतर्क कर दिया, जहां गर्मी के इस मौसम में पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। पर्यटकों के ऐसे ही बेपरवाह रवैये से सतर्क होकर ही उत्तराखंड को इस संबंध में नई गाइडलाइंस बनाने और होटलों को नए सिरे से निर्देश देने को मजबूर होना पड़ा। महाराष्ट्र में लोनावाला से भी ऐसी ही तस्वीरें सामने आई हैं, जहां पिकनिक स्पॉट पर लोग सरेआम कोविड नियमों का उल्लंघन करते नजर आए। यहां तक कि उन्होंने मास्क भी नहीं पहना था, सोशल डिस्टेंसिंग तो बहुत दूर की बात है। ऐसे में पुलिस को एक्शन भी लेना पड़ा।
विभिन्न पर्यटन स्थलों से आई इन तस्वीरों ने साफ कर दिया है कि कोविड के खिलाफ जंग में लोगों ने अब तक जागरुकता नहीं दिखाई है। तमाम सरकारी निर्देश बेमानी साबित होते नजर आ रहे हैं, जबकि विशेषज्ञों लगातार आगाह कर रहे हैं कि कोविड-19 की दूसरी लहर अभी समाप्त नहीं हुई है और तीसरी लहर का भी खतरा मंडरा रहा है, जिसके अगस्त-सितंबर में शुरू होने और अक्टूबर-नवंबर में पीक पर होने की आशंका है। देश के कुछ जिलों में बीते कुछ समय में संक्रमण के मामलों में आए उछाल ने इस आशंका और बढ़ाया ही है, लेकिन लोग हैं कि संभलने को तैयार नहीं।
लोगों के इस बेपरवाह रवैये ने एक बार फिर साफ किया है कि कोविड प्रतिबंधों में राहत को वे अब तक कोरोना का खतरा कम होने या इसके नगण्य होने के तौर पर ही देखते रहे हैं। देश में जब मार्च में कोविड-19 की दूसरी लहर ने दस्तक दी थी, तब भी विशेषज्ञों ने लोगों की इसी बेपरवाही को इस बड़ी आपदा के लिए जिम्मेदार प्रमुख वजहों में से एक बताया था। याद रखिये, इस साल जनवरी में जब टीकाकरण शुरू हुआ और संक्रमण के मामलों में भी उल्लेखनीय कमी देखी गई तो हर दूसरा-तीसरा शख्स यही कहता सुना गया कि 'अब कोरोना कहां है?' लेकिन हुआ क्या, उससे हम सब भलीभांति वाकिफ हैं।
हां, यह सच है कि लोगों का एक वर्ग, खासकर युवाओं का एक तबका है, जो बीते करीब डेढ़ साल के प्रतिबंधों से आजिज आ चुके हैं और उसी तरह की एक सामान्य जिंदगी जीना चाहते हैं, जैसा कि वे कोरोना काल से पहले वे जिया करते थे। लेकिन यह समझने की जरूरत है कि वक्त अब पहले की तरह नहीं रहा है। हमें बदले वक्त के हिसाब से ही अपने व्यवहार में भी बदलाव लाना होगा और 'कोविड अनुकूल' व्यवहार को अपनाना होगा। वरना यह बेपरवाही हम सभी पर भारी पड़ सकती है, खासकर ऐसे में जबकि कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है)
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