क्या 2022 में होगा मंडल बनाम कमंडल ? जातिगत जनगणना ने बदला समीकरण

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Aug 24, 2021 | 20:38 IST

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने पिछले 7 साल में हर चुनावों में OBC वोट को साधकर बड़ी जीत हासिल की है। अब विपक्ष जातिगत जनगणना (Caste Census) के नाम पर भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाना चाहता है।

UP CM Adityanath
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ पूजा करते हुए  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • आजादी के बाद से केवल SC और ST जातियों की अलग से जनगणना की जाती रही है।
  • OBC वोट में विभाजन नहीं चाहती है भाजपा, अगर जातिगत जनगणना होती है तो यूपी, बिहार में इसका बड़ा असर हो सकता है।
  • विपक्ष OBC वोट में विभाजन कर, भाजपा को बड़ा झटका देना चाहता है

नई दिल्ली: जातिगत जनगणना अब तूल पकड़ती जा रही है। मुद्दा इतना संवेदनशील है कि एक-दूसरे के विरोधी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव भी इस मामले में साथ हो गए हैं। सोमवार को बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने राज्य के 11 दलों के नेताओं के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग कर डाली। भाजपा भी इसको लेकर असमंजस में है। क्योंकि एक तरफ तो उसकी सरकार संसद में कह चुकी है कि वह 2021 में जातिगत जनगणना नही कराएगी। इसमें केवल पहले की तरह अनुसूचित जाति और जनजाति की ही जनगणना होगी। साफ है कि भाजपा इसके जरिए विपक्षी दलों को 1990 के दशक का मंडल पार्ट-2 करने का मौका नहीं देना चाहती है। ऐसे में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या जातिगत जनगणना का मुद्दा भाजपा के लिए 2022 में परेशानी का सबब बन सकता है। और उसकी काट के लिए क्या फिर से देश में मंडल बनाम कमंडल होगा। क्योंकि यह तो तय है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 के विधान सभा चुनावों में राम मंदिर निर्माण का मुद्धा फिर गरमाने जा रहा है।

भाजपा की सामने आ रही है रणनीति

सोमवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार में अतरौली पहुंचे गृह मंत्री अमित शाह ने कहा "राम जन्मभूमि आंदोलन के कल्याण सिंह एक बड़े नेता रहे हैं। राम जन्मभूमि के लिए सत्ता त्याग करने में उन्होंने जरा भी नहीं सोचा। जब श्रीराम जन्मभूमि का शिलान्यास हुआ तो उसी दिन मेरी बात बाबू जी से हुई। उन्होंने बड़े हर्ष एवं संतोष के साथ बताया कि उनके जीवन का लक्ष्य आज पूरा हो गया।" यही नहीं ऐसी खबरें हैं कि भाजपा अयोध्या में बन रहे श्री राम जन्म मंदिर के परिसर में एक सड़क का नाम कल्याण सिंह के नाम पर रखने वाली है।

राम मंदिर को लेकर कुछ ऐसे ही संकेत उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ भी बीच-बीच में अपने बयानों में देते रहे हैं। हाल ही में उन्होंने विधान सभा में कहा "जो लोग पहले अयोध्या के तरफ झाकते नहीं थे, अब हर कोई कहता फिर रहा है कि राम हमारे हैं।" 

अयोध्या मॉडल को भुनाएगी भाजपा ?

बीते 5 अगस्त को मंदिर निर्माण के एक साल पूरे होने पर मुख्य मंत्री आदित्यनाथ अयोध्या पहुंचे थे। मुख्य मंत्री ने खास तौर अयोध्या के विकास की विभिन्न योजाएं शुरू की है। जिसमें मंदिर के साथ अयोध्या का रेलवे स्टेशन राम मंदिर के मॉडल पर बन रहा है। अयोध्या में इसी साल के अंत तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का भी शिलान्यास हो सकता है। साथ ही अब अयोध्या तक बुलेट ट्रेन चलाने की योजना है। साफ है कि 2022 के चुनावों में श्री राम जन्म भूमि मंदिर भाजपा के लिए अहम मुद्दा रहने वाला है।

भाजपा खुल कर क्यों नहीं कर रही है समर्थन

वैसे तो भाजपा के ही नेता और बिहार उपमुख्य मंत्री ने ट्वीट के जरिए जातिगत जनगणना का समर्थन कर दिया है। लेकिन इसके बावजूद भाजपा अभी खुलकर सामने नहीं आ रही है। असल में अगर जातिगत जनगणना होती है तो इस बात का डर है कि मौजूदा आंकलन की तुलना में अगर ओबीसी की संख्या में बढ़ोतरी या कमी हो जाती हैतो यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। और आरक्षण की नई मांग खड़ी हो सकती है। जिस तरह अगले कुछ महीनों में 5 राज्यों में विधान सभा चुनाव और 2024 में लोक सभा चुनाव है। भाजपा किसी हालत में नहीं चाहती है कि चुनाव में जाति का मुद्दा खड़ा हो जाय। 

क्योंकि 1990 में तत्कालीन प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पिछड़ा वर्ग पर गठित बी.पी.मंडल आयोग की कुल 40 सिफारिशों में से एक सिफारिश को जब लागू किया और उसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में सभी स्तर पर 27 प्रतिशत आरक्षण मिलने की व्यवस्था हुई । मंडल कमीशन की रिपोर्ट (1979 में पेश की गई थी) के अनुसार देश में 52 फीसदी ओबीसी जातियां थी। उस एक फैसले ने  पूरे भारत, खासकर उत्तर भारत की राजनीति को ही बदल कर रख दिया।

विपक्ष ओबीसी राजनीति के जरिए भाजपा को देना चाहता है झटका

प्रदेश में ओबीसी वर्ग में गैर यादवों की आबादी 35 फीसदी है। जिसका भाजपा ने बेहद बखूबी से 2014 के लोक सभा चुनाव से फायदा उठाना शुरू किया।  भाजपा ने कुर्मी पर प्रभाव रखने वाले अपना दल के साथ 2014 में गठबंधन किया और साल 2017 में ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और 2019 में निषाद पार्टी के साथ गठजोड़ करके अधिकांश पिछड़ी जातियों के बीच अपनी पहुंच का विस्तार किया था। हालांकि ओपी राजभर ने 2019 में भाजपा से नाता तोड़ दिया और अब भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाकर उसी ताकत से किंग मेकर बनना चाहते हैं। अब यही काम जातिगत जनगणना से विपक्ष करना चाहता है। जैसे समाजवादी पार्टी ओबीसी सम्मेलन करा रही है। कांग्रेस भी ओबीसी को लुभाने की कोशिश में हैं। हालांकि भाजपा ने  विपक्ष की रणनीति को भांप लिया है, इसीलिए वह फिर से ओम प्रकाश राज भर को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में है। निषाद पार्टी को भी अपने पाले में बनाए रखने की कोशिश में है। कुल मिलाकर यह लड़ाई दिलचस्प होने वाली है।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर