रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में 'राम वन गमन पथ' के महत्वपूर्ण स्थलों को प्रमुख पर्यटन स्थलों के तौर पर विकसित करेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इससे जुड़े फैसले को मंजूरी दी गई है। इसके लिए चार सदस्यीय टीम का भी गठन किया जाएगा, जो पर्यटन स्थलों का सर्वेक्षण करेगी। बताया जाता है कि भगवान राम ने जब अयोध्या से 14 वर्षों के लिए वन की ओर प्रस्थान किया था तो इस दौरान उन्होंने 10 साल उन इलाकों में बिताए थे, जो अब छत्तीसगढ़ में आते हैं।
कई किताबों में इसका जिक्र किया गया है कि वनगमन के दौरान श्रीराम ने यहां तकरीबन 75 स्थानों का दौरा किया गया, जिनमें 51 ऐसी जगह हैं, जहां वह कुछ समय तक रुके भी। भूपेश बघेल की अगुवाई वाली छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने राम वन गमन पथ को विभिन्न चरणों में विकसित करने का फैसला किया है, जिसमें पहले चरण के तहत आठ स्थलों का विकास किया जाएगा। यहां पर्यटकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए खानपान व बैठने की व्यवस्था, प्रतीक्षा स्थल, पेयजल, शौचालय, पगोडा और वैदिक गांव भी बनाए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार पहले चरण में राम वन गमन पथ के जिन आठ स्थलों का विकास करेगी, उनमें कोरिया जिले का सीतामढ़ी-हरचैका, सरगुजा जिले का रामगढ़, जांजगीर-चांपा जिले का शिवरीनारायण, बलौदाबाजार-भाटापारा जिले का तुरतुरिया, रायपुर जिले का चंद्रखुरी, गरियाबंद जिले का राजिम, धमतरी जिले का सिहावा (सप्त ऋषि आश्रम) और बस्तर जिले का जगदलपुर शामिल है। यहां तक पहुंचने में पर्यटकों को किसी तरह की समस्या न हो, इसके लिए सड़कों का चौड़ीकरण व सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा।
बताया जाता है कि भगवान राम ने सीतामढ़ी-हरचैका नामक जगह से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था और यहां समय बिताने के बाद उन्होंने दक्षिण का रुख किया था, जिसकी वजह से इसे दक्षिणापथ भी कहा जाता है। प्राचीनकाल में यह जगह दक्षिण कौसल और दण्डकारण्य के रूप में जानी जाती थी। राज्य के लोकगीतों में भी देवी सीता की तकलीफों और दण्डकारण्य की भौगोलिक परिस्थितियों का जिक्र मिलता है। छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि राम राज्य के कण-कण में बसे हैं और यहां की संस्कृति व आस्था के आधार हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार जहां राम वन गमन पथ को विकसित करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है, वहीं बीजेपी ने इसे कांग्रेस की अवसरवादिता करार देते हुए कहा कि लोग पार्टी के इस 'नाटक' को देखेंगे। पार्टी ने कांग्रेस पर 'तुष्टिकरण' की नीति का सहारा लेने के आरोप भी लगाए हैं। वहीं, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मौजूदा दौर में सरकारों की प्राथमिकताएं बदल गई हैं और बीजेपी हो या कांग्रेस, धार्मिक भावनाओं का लाभ उठाने का कोई अवसर नहीं चूकना चाहती।
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