ताइवान के साथ ट्रेड डील की चर्चा से चिढ़ा चीन? अपने खिलाफ भारत के नए मोर्चे से घबराया

देश
आलोक राव
Updated Oct 21, 2020 | 15:24 IST

ताइवान लंबे समय से कारोबार शुरू करने के लिए भारत से आग्रह करता आया है लेकिन भारत इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कोई औपचारिक वादा उससे नहीं किया है।

China warns India on trading with Taiwan, slams US-Tibet govt-in-exile meeting
ताइवान के साथ ट्रेड डील की चर्चा से चिढ़ा चीन? अपने खिलाफ भारत के नए मोर्चे से घबराया। 
मुख्य बातें
  • ताइवान के साथ भारत के कारोबार शुरू करने की चर्चा वाली मीडिया रिपोर्ट पर भड़का चीन
  • चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत को 'वन चाइना पॉलिसी' का सम्मान करना चाहिए
  • कारोबार के जानकारों का मानना है कि ताइवान के साथ भारत को अपना व्यापार शुरू करना चाहिए

नई दिल्ली : ताइवान के साथ भारत की ट्रेड डील की रिपोर्टों से चीन तिलमिला गया है। बीजिंग ने आगाह करते हुए कहा है कि भारत को चीन की 'वन चाइना पॉलिसी' के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए। जाहिर है कि ताइवान के साथ कारोबार शुरू करने संबंधी रिपोर्ट बीजिंग को नागवार गुजरी हैं। चीन की झुंझलाहट कितनी है इसे उसके विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के बयान से समझा जा सकता है। प्रवक्ता ने अपनी एक नियमित ब्रीफिंग में कहा, 'दुनिया में केवल 'वन चाइना' है और ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है। भारत सहित दुनिया के देशों में 'वन-चाइना पॉलिसी' पर एक आम सहमति है।  

मीडिया रिपोर्ट पर भड़का चीन
प्रवक्ता ने ब्लूमबर्ग की उस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दिया जिसमें कहा गया है कि भारत आने वाले दिनों में ताइवान के साथ व्यापार वार्ता शुरू कर सकता है। झाओ ने आगे कहा, 'चीन अन्य देशों के साथ अपने 'वन चाइना पॉलिसी' के आधार पर ही राजनीतिक संबंध विकसित करता है। ऐसे में हम चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों को ताइवान के साथ किसी तरह के आधिकारिक आदान-प्रदान अथवा दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने की कवायद का दृढ़ता से विरोध करते हैं। भारतीय पक्ष को 'वन चाइना पॉलिसी' पर प्रतिबद्ध रहना चाहिए।'

चीन के एकीकरण के प्रस्ताव को ताइवान ने ठुकराया
बता दें कि ताइवान को अपने क्षेत्र में शामिल करने के लिए चीन ने एकीकरण का प्रस्ताव पेश किया था लेकिन उसके इस प्रस्ताव को ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने ठुकरा दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। अपनी पेशकश ठुकराए जाने के बाद ताइवान के साथ संबंध विकसित करने वाले देशों पर चीन ने आक्रामक रुख अपनाया है। भारतीय मीडिया में गत 10 अक्टूबर को ताइवान के राष्ट्रीय दिवस समारोह को  जगह मिली थी। इस पर भी चीन की त्योरियां चढ़ गईं। अपना विरोध जताने के लिए नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी किया। इस बयान में कहा गया कि बीजिंग के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले सभी देशों को 'वन चाइन पॉलिसी' का सम्मान करना चाहिए।

'वन चाइना पॉलिसी' का सम्मान करता रहा है भारत
ताइवान लंबे समय से कारोबार शुरू करने के लिए भारत से आग्रह करता आया है लेकिन भारत इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कोई औपचारिक वादा उससे नहीं किया। जाहिर है कि भारत की इस अनिच्छा में कहीं न कहीं 'वन चाइना पॉलिसी' रही है। भारत को ताइवान के साथ आधिकारिक रूप से व्यापार शुरू कर चीन के साथ विवाद में नहीं पड़ना चाहता लेकिन सीमा पर जारी तनाव को देखते हुए और बीजिंग पर दबाव बनाने के लिए नई दिल्ली यदि अपने मौजूदा नीति में बदलाव करती है तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। चीन के साथ रिश्तों में आई तल्खी को देखते हुए कई लोगों का मानना है कि भारत और ताइवान को अपने संबंध मजबूत करने चाहिए क्योंकि दोनों लोकतांत्रिक देश हैं। 

चीन से आने वाली सामग्री की आपूर्ति ताइवान कर सकता है 
मीडिया रिपोर्ट में भारत और ताइवान के बीच कारोबारी रिश्ते को आगे बढ़ाने की बात तो कही गई है लेकिन इस बारे में भारत सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। कारोबार के जानकारों का कहना है कि ताइवान के साथ भारत यदि कारोबार शुरू करता है तो इससे दोनों देशों को लाभ पहुंचेगा क्योंकि ऐसे बहुत सारी सामग्रियों की आपूर्ति ताइवान से हो सकेगी जिनके लिए नई दिल्ली पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। दूसरा इससे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ेगा। ताइवान से इलेक्ट्रानिक्स एवं टेलिकॉम उपकरणों की आपूर्ति हो सकती है।

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