नई दिल्ली। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू है। लेकिन सरकार बनाने के लिए शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की कवायद जारी है। तीनों दलों के नेता न्यूनतम साझा कार्यक्रम के लिए मुंबई में बैठक की जिसमें आगे की रणनीतियों पर चर्चा की। इस बैठक में कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण, एनसीपी नेता छगन भुजबल और शिवसेना की तरफ से एकनाथ शिंदे शामिल हुए।
बैठक के बाद तीनों दलों के नेता मीडिया से मुखातिब हुए और कहा कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार है और अंतिम मुहर के लिए तीनों दलों के अध्यक्षों के पास भेजा जाएगा और आलाकमान का फैसला अंतिम होगा। नतीजों के आने के बाद कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने समन्वय समिति की स्थापना की है। तीनों दलों के नेता कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर काम कर रहे हैं। सीएमपी में तीनों दलों के चुनावी घोषणा पत्र को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा मंत्रिपरिषद के स्वरूप को लेकर भी बातचीत जारी है।बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को कहा था कि सरकार बनाने के लिए किसी ने रोका नहीं है।
अगले 6 महीने तक पार्टियां सरकार बनाने के विकल्प पर काम कर सकती हैं। इन सबके बीच बताया जा रहा है कि एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार, सोनिया गांधी से मुलाकात भी कर सकते हैं। शिवसेना के साथ जाने पर कांग्रेस के कई धड़ों का ऐतराज था कि आखिर कैसे विपरीत विचार वाले दल के साथ सरकार बनानी चाहिए। इस विषय को सुलझाने के लिए कांग्रेस के कई दिग्गजों ने कमान संभाली थी।
अमित शाह ने ढाई ढाई साल के सीएम वाले प्रपोजल पर भी चुप्पी तोड़ी थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह का कोई वादा नहीं था। जहां तक शिवसेना की बात है तो बीजेपी बंद कमरे में हुई बातचीत को सार्वजनिक नहीं करना चाहती है और ये सबकुछ पार्टी के चरित्र में भी नहीं है। उन्होंने कहा था कि सभी दलों के पास सरकार बनाने के लिए 18 दिन का समय था। लेकिन जब कोई भी दल सरकार बनाने में नाकाम रहे तो राज्यपाल के पास विकल्प ही क्या था। संवैधानिक बाध्यताओं को भी ध्यान में रखना था। केंद्र सरकार या राज्यपाल के सामने राष्ट्रपति शासन के अलावा दूसरा विकल्प ही क्या था।
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