कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कोरोनावायरस के दूसरे लहर के दौरान रोजाना दर्ज किए जा रहे मामलों में कमी आ रही है। वहीं वैज्ञानिक इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि जल्द ही भारत में कोरोनावायरस का तीसरा लहर भी आने वाला है। वैज्ञानिकों के अनुसार, कोरोनावायरस का तीसरा लहर बच्चों के लिए हानिकारक माना जा रहा है। इस परिस्थिति से बचने के लिए सरकार हर मौजूदा कोशिश कर रही है कि बच्चों को तीसरे लहर से प्रभावित ना होना पड़े।
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए गाइडलाइंस
इसी कड़ी में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज ने 18 वर्ष से कम बच्चों में कोविड-19 को लेकर कुछ गाइडलाइन जारी किया है। गाइडलाइन के अनुसार, बच्चों के इलाज के लिए रेमडेसिविर के उपयोग के लिए मनाही है वहीं एचआरसीटी को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसके साथ जो बच्चे माइल्ड कोविड से पीड़ित होंगे उन्हें बुखार के लिए है 4 से 6 घंटे के बीच पेरासिटामोल 10-15 एमजी/केजी/डोज दिया जाएगा। यहां जानें डीजीएचएस ने और क्या गाइडलाइंस जारी किए हैं।
स्टेरॉइड्स और एंटी-कोगुलेंट्स को लेकर गाइड
डीडीएचएस ने यह साफ मना किया है कि लोग खुद से स्टेरॉयड का इस्तेमाल बच्चों के लिए ना करें। एसिंप्टोमेटिक और कोविड-19 के माइल्ड केसेज के लिए स्टेरॉयड हानिकारक साबित हो सकता है। स्टेरॉयड का इस्तेमाल सिर्फ स्ट्रिक्ट सुपरविजन के अंडर गंभीर और क्रिटिकल कोविड-19 कैसेज के लिए किया जाएगा। इसके साथ Costicosteroids का इस्तेमाल भी गंभीर और प्रोग्रेसिव मॉडरेट किसके लिए किया जाएगा। Dexamethasone 0.15mg/kg पर डोज का उपयोग दिन में दो बार किया जाएगा और अगर Dexamethasone उपलब्ध नहीं है तो Methylprednisolone का उपयोग 5-14 दिनों के लिए क्लिनिकल एसेसमेंट के आधार पर समान डोज में किया जा सकता है।
एंटी-कोगुलेंट्स
एंटी-कोगुलेंट्स का इस्तेमाल सिर्फ गंभीर कोविड-19 केस और MIS-C केस के लिए किया जाएगा। एस्पिरिन का उपयोग 3mg/kg प्रति दिन से 5mg/kg प्रति दिन या ज्यादा से ज्यादा 81mg प्रति दिन किया जा सकता है। कम मॉलिक्यूलर वेट वाले heparin का उपयोग त्वचा के नीचे 1mg/kg प्रति दिन किया जा सकता है। क्लाॅटिंग फैक्टर Xa 0.5-1 IU/ml होना चाहिए।
हाई-रेजोल्यूशन सिटी
हाई रेजोल्यूशन सिटी का इस्तेमाल कोविड-19 पेशेंट के लंग्स का जांच करने के लिए किया जा सकता है। चेस्ट के लिए एचआरसीटी का इस्तेमाल डॉक्टरों को पर्याप्त जांच के बाद करना होगा।
रेमडेसिविर के लिए गाइडलाइंस
डीजीएचएस ने बच्चों के लिए रेमडेसिविर का उपयोग करने के लिए सख्त मना किया है। डीजीएचएस के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए रेमडेसिविर के उपयोग से आधारित पर्याप्त जानकारी और डाटा नहीं है।
बच्चों के लिए मास्क लगाने से आधारित गाइडलाइंस
डीजीएचएस के मुताबिक 5 साल या उससे कम उम्र के बच्चों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है। 6 से 11 साल के बच्चे अपने मां बाप के देखभाल के अंतर्गत मास्क का प्रयोग कर सकते हैं। 12 या 12 साल से ऊपर के बच्चों को बड़ों के तरह ही मास्क पहनने की आवश्यकता है। इसके साथ बच्चों को अपने हाथ साबुन से धोना चाहिए या एल्कोहल बेस्ड हैंड सब का इस्तेमाल करना चाहिए।
डीजीएचएस ने सुझाया बच्चों के लिए 6-मिनट वाॅक टेस्ट
बच्चों में कार्डियो-पलमोनरी एक्सरसाइज टोलरेंस की जांच करने के लिए डीजीएचएस ने 6-मिनट वाॅक टेस्ट का तरीका सुझाया है। इस टेस्ट के अनुसार, 12 या 12 से अधिक उम्र के बच्चों को अपने मां-बाप के गाइडेंस के अंडर 6 मिनट तक बिना रुके चलना है। इसके लिए बच्चे अपने उंगली में पल्स ऑक्सीमीटर लगा लें और घर में 6 मिनट तक लगातार चलें। 6 मिनट लगातार चलने के बाद अगर उनका सैचुरेशन 94 प्रतिशत से कम होता है, 3-5 प्रतिशत तक नीचे चला जाता है या बच्चों को चक्कर आ रहा है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो वह हाइपोक्सिक की तरफ अग्रसर हो सकते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। इस टेस्ट को 6 से 8 घंटे के बाद दोहराया जा सकता है। अगर पेशेंट को अस्थमा है तो यह टेस्ट ना करें।
एंटीमाइक्रोबियल्स के लिए गाइडलाइंस
सरकार ने यह बताया है कि कोविड-19 एक वायरल इंफेक्शन है और एंटीमाइक्रोबियल्स कोरोनावायरस इनफेक्शन को प्रिवेंट करने में मददगार साबित नहीं होते हैं।
एसिंप्टोमेटिक और माइल्ड केसेस के लिए एंटीमाइक्रोबियल्स
डीजीएचएस ने यह सलाह दी है कि कोरोनावायरस पेशेंट की थेरेपी के लिए एंटीमाइक्रोबियल्स का इस्तेमाल ना किया जाए।
मॉडरेट और गंभीर कोरोनावायरस केसेज के लिए एंटीमाइक्रोबियल्स
डीजीएचएस ने बताया कि एंटीमाइक्रोबियल्स का इस्तेमाल तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कोरोनावायरस पेशेंट किसी सुपरएडेड संक्रमण से पीड़ित ना हों। अस्पतालों में भर्ती होने के वजह से स्वास्थ्य संबंधित इंफेक्शन और मल्टीड्रग रेसिस्टेंट ऑर्गेनिज्म जैसे खतरे बढ़ जाते हैं।
सेप्टिक शॉक के लिए एंटीमाइक्रोबियल्स
रोग कारकों को रोकने के लिए शरीर के वजन के अनुसार इंपीरियल एंटीमाइक्रोबियल्स का इस्तेमाल क्लीनिकल जजमेंट, पेशेंट होस्ट फैक्टर्स और लोकल epidemiology और अस्पतालों के एंटीमाइक्रोबियल पॉलिसी के आधार पर किया जाता है। डीजीएचएस ने बताया कि इनका इस्तेमाल आमतौर पर टाइप किया जाता है जब न्यूट्रोफीलिया के साथ ल्यूकोसाइटोसिस होता है और प्रोकैल्सीटोनिन के साथ अत्यधिक सिम्टम्स दिखाई देते हैं।
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