नई दिल्ली : देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे कई तरह की चिंताएं लोगों के मन में पैदा हो रही हैं। इस बीच लॉकडाउन को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, इस महीने (अप्रैल) कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर का पीक देखने को मिलेगा। ऐसे में उन्होंने कुछ पाबंदियों को जरूरी बताया है।
कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के लिए जहां उन्होंने लोगों के लापरवाह रवैये को जिम्मेदार ठहराया, वहीं वायरस के नए वैरिएंट्स के कारण भी संक्रमण तेजी से फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया। भारत में पिछले दिनों कोरोना वायरस के कई वैरिएंट्स सामने आए हैं, जिन्हें अधिक संक्रामक बताया जा रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले दिनों दिल्ली, महाराष्ट्र और कुछ अन्य स्थानों पर SARS-CoV-2 के नए 'डबल म्यूटेंट' और ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका तथा ब्राजील में सबसे पहले नजर आए तीन 'वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न' 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मिलने की बात कही थी।
कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार को देखते हुए अगले 15-20 दिनों में इसके पीक पर पहुपंचने का अनुमान जताया जा रहा है। संक्रमण के रोजाना नए मामलों के लिहाज से देखें तो भारत पहले नंबर पर नजर आ रहा है। रोजाना सामने आ रहे मामले हर दिन यहां रिकॉर्ड बना रहे हैं और स्थिति भयावह नजर आ रही है।
संक्रमण की तेज रफ्तार के बीच यहां लॉकडाउन को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि इस वक्त देशव्यापी लॉकडाउन की स्थिति बनती नजर नहीं आ रही है, जैसा कि बीते साल केंद्र सरकार ने घोषित किया था, लेकिन कई राज्यों ने बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पाबंदियां बढ़ा दी हैं। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया कोरोना की बेकाबू रफ्तार को नियंत्रित करने के लिए कुछ पाबंदियों के पक्ष में हैं।
कोरोना की बढ़ती रफ्तार पर काबू पाने के लिए जहां उन्होंने अधिक से अधिक लोगों के टीकाकरण पर जोर दिया, वहीं टेस्ट की संख्या बढ़ाने, संक्रमित लोगों और उनके संपर्क में आए लोगों की पहचान कर उन्हें उपचार मुहैया कराने पर भी जोर दिया। लॉकडाउन पर उन्होंने कहा, 'संभव है कि फिर से लॉकडाउन लगाना व्यावहारिक न हो, पर अगर जरूरत पड़े तो गैर-जरूरी यात्राओं पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।'
दिल्ली का उदाहरण देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि यहां पहले ही अस्पतालों में बेड की जरूरतों को लेकर 200 फीसदी का इजाफा देखा जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जहां एक महीने पहले रोजाना करीब 130 से 140 मामले सामने आ रहे थे, वहीं बीते एक सप्ताह में इसमें 10 गुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। शनिवार को यहां 3567 नए केस दर्ज किए गए, जबकि 10 अन्य लोगों की जान गई।
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