नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में एक बार फिर उछाल देखा जा रहा है, जिसे लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के 39,726 नए मामले दर्ज किए गए, जो इस साल एक दिन में संक्रमण की सबसे बड़ी संख्या है। यह लगातार नौवां दिन रहा, जब कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके साथ ही संक्रमण के रोजाना आंकड़े नवंबर 2020 के आंकड़ों तक पहुंच गए हैं, जब 29 नवंबर को 24 घंटों के भीतर संक्रमण के 41,810 नए दर्ज किए गए थे।
कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में अचानक उछाल को लेकर लोगों में चिंता बढ़ती जा रही है। कई राज्यों में एहतियाती कदम भी उठाए जा रहे हैं। अगर आपको याद हो तो बीते साल यह मार्च-अप्रैल का महीना ही था, जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी आनी शुरू हुई थी और उसके बाद 'जनता कर्फ्यू' के बाद देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया गया था। हालांकि संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी जारी रही अगस्त-सितंबर तक यह उच्चतम स्तर तक पहुंच चुका था और एक दिन में सामने आने वाले आंकड़े 95 हजार से भी अधिक हो चुके थे।
कयास लगाए जा रहे थे कि आने वाले दिनों में यह आंकड़ा बढ़कर रोजाना 1 लाख से अधिक कोविड-19 केस का हो सकता था, लेकिन अक्टूबर में फिर संक्रमण के रोजाना आंकड़ों में कमी दर्ज की जाने लगी और साल 2021 की शुरुआत तक देशभर से रोजाना कोरोना वायरस संक्रमण के आंकड़े 15,000 से भी कम हो गए। लेकिन फिर मार्च में इसमें अचानक बढ़ोतरी देखी जाने लगी और 19 मार्च को एक दिन के संक्रमण केस का आंकड़ा 40 हजार के करीब पहुंच चुका है। इसे देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के तौर के तौर पर भी देखा जा रहा है।
इन सबके बीच संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान ने इसे लेकर एक अन्य सवाल पैदा किया है कि क्या कोरोना वायरस सीजनल हो सकता है? दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन की 16 सदस्यीय टीम ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के सीजनल यानी मौसमी होने को लेकर बात की गई है। इसमें कहा गया है कि दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण के पहले साल में देखा गया है, जिन जगहों पर गर्मी अधिक है, वहां केस बढ़े हैं और अब तक इसके साक्ष्य नहीं हैं कि अगर गर्मी लौटती है तो आने वाले वर्षों में फिर ऐसा नहीं हो सकता।
रिपोर्ट में हालांकि कहा गया है कि यह अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि मौसम का कोई महत्वपूर्ण या निर्णायक प्रभाव संक्रमण की दर पर पड़ता है या नहीं। इसके मुताबिक, प्रयोगशालाओं में जो तथ्य सामने आया है, उसके मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमण ठंड, शुष्क वातावरण के साथ-साथ उस वातावरण में भी लंबे समय तक रह सकता है, जिसमें अल्ट्रावायलेट रेडिएशन कम होता है। कोरोना वायरस संक्रमण से निजात पाने में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और यात्रा प्रतिबंधों को कारगर करार देते हुए रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन सबमें किसी तरह की कोताही नहीं की जानी चाहिए।
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