नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हम अपने सशस्त्र बलों के हाथ कभी नहीं बांधेंगे। उन्हें निर्णय लेने होते हैं। हम उनके फैसले के साथ खड़े होंगे, चाहे कुछ भी हो। यह मैं रक्षा मंत्री के रूप में कहता हूं। अनजाने में फैसला गलत निकला तो भी हम अपने जवानों के साथ खड़े होंगे। भारत शांतिप्रिय देश के नाम से जाना जाता है। भारत का इतिहास रहा है कि हमने न कभी किसी देश पर आक्रमण किया है और न ही किसी देश की एक इंच जमीन पर कब्जा किया।
उन्होंने कहा कि हमारा एक और पड़ोसी है। आप इसे अच्छी तरह से जानते हैं, इसका नाम लेने की जरूरत नहीं है। सबके साथ मनमानी करने का मन बना लिया है। कई देशों ने इसका विरोध नहीं किया जैसा उन्हें करना चाहिए था। पहले हमारी स्थिति ऐसी ही थी। लेकिन 2014 के बाद स्थिति बदल गई है। इस बार हमारे जवान अपने उस पड़ोसी को संदेश भेजने में सफल रहे। मुझे दुख है कि कुछ राजनीतिक दल हमारे जवानों की वीरता पर सवाल उठाने की कोशिश करते हैं। वे नेतृत्व का नाम लेते हैं लेकिन राजनेता सीमाओं पर नहीं लड़ते, लेकिन जवान लड़ते हैं।
लखनऊ में अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के रजत जयंती समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1971 के युद्ध और 1999 के कारगिल युद्ध में हारने वाले पाकिस्तान को अब आतंकवाद से अपने संबंध तोड़ने होंगे। रक्षा मंत्री के रूप में मैं आपको बताता हूं कि उन्होंने घोषणा की है कि वे अब आतंकवाद को पनाह नहीं देंगे। लोगों ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने की ताकत सिर्फ अमेरिका और इजरायल के पास है। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं, आज दुनिया मानने लगी है कि भारत के पास भी आतंकवाद से लड़ने की ताकत है। हमने सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया। किसी ने इसकी उम्मीद नहीं की थी। हम धीरे-धीरे यह संदेश देने में सफल हुए हैं कि कोई भी हो, दुनिया का सबसे ताकतवर देश हो, अगर कोई भारत के लिए कुछ करता है तो भारत उसे नहीं बख्शेगा। ये भरोसा लोगों के अंदर आया है।
उन्होंने कहा कि जहां तक आज के भारत का सवाल है, इसे दुनिया के सबसे मजबूत देशों में से एक माना जाता है। इस सच्चाई से कोई इनकार नहीं कर सकता कि दुनिया के सामने भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। लोग इतिहास पढ़ते हैं। लेकिन 1971 के युद्ध में हिस्सा लेने वाले हर भारतीय सैनिक ने इतिहास रच दिया। हमें अपने सभी जवानों पर गर्व है। पाकिस्तान पर निर्णायक जीत के साथ हमने दुनिया को बताया कि भारत और पाकिस्तान की तुलना नहीं की जा सकती। हमने 1971 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश दिया था।
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