नई दिल्ली: COVID-19 के लिए अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं खोजा गया है इसे लेकर तमाम रिसर्च जारी हैं और कुछ प्रयोग भी किए जा रहे हैं, कुछ स्थानों पर प्लाज्मा थेरेपी (Plasma therapy) भी शुरू कर दी गई है इसको लेकर मिली जुली बातें कही जा रही हैं, वहीं दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी के तहत LNJP अस्पताल से पहला मरीज रिकवर हुआ है।
प्लाज्मा थेरेपी को लेकर दिल्ली सरकार उत्साहित नजर आ रही है सरकार के मुखिया केजरीवाल ने कहा कि कोरोना से निपटने में ये थेरेपी खासी कारगर साबित हो सकती है,उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी के क्लिनिकल ट्रायल को नहीं रोकेगी क्योंकि उसके शुरुआती नतीजे अच्छे हैं।
इस घोषणा से कुछ दिनों पहले केंद्र ने कहा था कि कोरोना वायरस मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी प्रायोगिक चरण में है और इससे जीवन के लिए घातक जटिलताएं पैदा होने की आशंका है।
उन्होंने कहा, 'हम प्लाज्मा थेरेपी के क्लिनिकल ट्रायल को नहीं रोकने वाले हैं। हमें थेरेपी के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। हालांकि यह प्रायोगिक स्तर पर हैं।' वहीं सीएम ने कहा कि मुझे बेहद खुशी है कि 1100 के करीब जो लोग ठीक हो चुके हैं वो अपना प्लाज्मा डोनेट करने को तैयार है।
किस तरह काम करता है प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा भी एक तरह से प्लेटलेट्स की तरह खून का हिस्सा होता है। इसमें स्वस्थ इंसान बैंक में जाकर अपना प्लेटलेट्स देता है वैसे ही प्लाज्मा भी डोनेट किया जाता है। इस थेरेपी के तहत डोनर के खून से प्लाज्मा निकाल कर उस खून को फिर वापस डोनर के शरीर में डाल दिया जाता है। प्लाज्मा से फिर एंटीबॉडीज निकाल कर कोरोना संक्रमित व्यक्ति को चढ़ाया जाता है।
खून में मौजूद प्लाज्मा के जरिए कई बीमारियों का इलाज किया जाता है। प्लाज्मा डोनेशन पूरी तरह से सुरक्षित मेडिकल प्रोसेस है लेकिन इसमें कुछ साइड इफेक्ट भी हैं। यह आपके खून का हिस्सा होता है। प्लाज्मा डोनेट करने के लिए शरीस से खून निकाल कर एक खास मशीन के जरिए उससे प्लाज्मा निकाल कर अलग किया जाता है। फिर उस खून को वापस डोनर के शरीर में डाल दिया जाता है।
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