मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने बुधवार (तीन अगस्त, 2022) को बड़ा एक्शन लिया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ईडी ने नेशनल हेराल्ड के ऑफिस में यंग इंडिया कंपनी के परिसर को 'अस्थाई तौर पर सील' कर दिया है, जबकि एक अन्य न्यूज एजेंसी एएनआई ने बताया कि निदेशालय ने यह भी निर्देश दिया गया है कि बगैर उसकी अनुमति के दफ्तर खोला नहीं जाए।
इस बीच, दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम चीफ सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ के बाहर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है, जबकि ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के मुख्यालय के बाहर दिल्ली पुलिस के बैरिकेड्स लगे नजर आए।
वहीं, कांग्रेस ने ट्वीट के जरिए इस कार्रवाई पर कहा- सत्य की आवाज़ नहीं डरेगी पुलिसिया पहरों से। गांधी के अनुयायी लड़ के जीतेंगे इन अंधेरों से। नेशनल हेराल्ड का ऑफिस सील करना, कांग्रेस मुख्यालय को पुलिस पहरे में कैद करना तानाशाह की डर और बौखलाहट दोनों दिखाता है। पर महंगाई और बेरोज़गारी के सवाल तो फिर भी पूछे जाएंगे।
ईडी ने इससे पहले जांच के सिलसिले में एक रोज पहले यानी एक अगस्त को कांग्रेस के स्वामित्व वाले इस अखबार के मुख्यालय और 11 अन्य स्थानों पर रेड डाली थी। अफसरों के अनुसार, प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) की क्रिमिनल धाराओं के तहत छापे मारे जा गए, ताकि यह पता लगाने के लिए अतिरिक्त सबूत जुटा जा सकें कि धन का लेन-देन किसके बीच हुआ।
उन्होंने कहा कि इस मामले में विभिन्न लोगों से हालिया पूछताछ के बाद ईडी को मिले नए सबूतों के मद्देनजर कार्रवाई की गई। यह छापेमारी कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से पूछताछ के एक सप्ताह बाद की गई थी। सोनिया से जहां पिछले महीने तीन चरणों में 11 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई, वहीं जून में बेटे और पूर्व कांग्रेस चीफ राहुल से ईडी ने पांच दिन तक (विभिन्न अंतराल पर) 50 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।
नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की ओर से किया जाता है और इसकी मूल कंपनी ‘यंग इंडियन’ है। मध्य दिल्ली में आईटीओ पर बहादुर शाह जफर मार्ग पर ‘हेराल्ड हाउस’ में स्थित नेशनल हेराल्ड के ऑफिस है और यह दफ्तर ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ के नाम पर पंजीकृत है। वैसे, जांच एजेंसी का दस्ता इससे पहले यहां भी छापा मार चुका है, पर कांग्रेस ने अपने नेताओं के खिलाफ ईडी की कार्रवाई को "राजनीतिक प्रतिशोध" करार देते हुए कहा था कि इस मामले में कोई धनशोधन नहीं हुआ है।
क्या है पूरा मामला? समझें
दरअसल, यह केस साल 2012 में बीजेपी के सुब्रमण्यम स्वामी की एक निजी आपराधिक शिकायत से जुड़ा है। उन्होंने गांधी परिवार और अन्य लोगों पर धोखाधड़ी व धन के गबन की साजिश का आरोप लगाया था। इसमें यंग इंडियन ने 90.25 करोड़ रुपए वसूलने का अधिकार प्राप्त करने के वास्ते केवल 50 लाख रुपए का भुगतान किया था। फरवरी, 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने गांधी परिवार को नोटिस जारी कर स्वामी की याचिका पर जवाब मांगा था।
ईडी के अनुसार, लगभग 800 करोड़ रुपए की संपत्ति एजेएल के पास है और एजेंसी गांधी परिवार से जानना चाहती है कि कैसे यंग इंडियन जैसी गैर-लाभकारी कंपनी अपनी जमीन और भवन संपत्तियों को किराए पर देने की व्यावसायिक गतिविधियां कर रही थी। कांग्रेस ने कहा है कि आयकर विभाग ने एजेएल की संपत्तियों की कीमत करीब 350 करोड़ रुपए आंका है। (एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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