नई दिल्ली : देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है। यहां पहले ट्रायल बेसिस पर इसका इस्तेमाल किया जाएगा। इसका व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल इसकी ट्रायल की सफलता पर ही निर्भर करेगा। यह ट्रायल कोरोना वायरस से संक्रमित उन मरीजों पर किया जाएगा, जिनकी स्थिति गंभीर है।
'पहले होगा ट्रायल'
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'कोविड-19 से संक्रमित लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए दिल्ली में प्लाज्मा टेक्नीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका ट्रायल उन मरीजों पर किया जाएगा, जिनकी स्थिति गंभीर है। इस संबंध में सभी से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों और प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है।'
दिल्ली में बढ़ रहे हैं मामले
दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार में ट्रायल के तौर पर प्लाज्मा टेक्नीक के इस्तेमाल की बातें ऐसे समय में सामने आई हैं, जबकि यहां संक्रमण के आंकड़े 1500 को पार कर गए हैं और 30 लोगों की जान जा चुकी है। दिल्ली में बढ़ते मामलों के बीच यहां हॉटस्पॉट्स की संख्या बढ़कर 55 हो गई है। सरकार ने मंगलवार को ही स्पष्ट किया था कि अब किसी भी इलाके में 3 मामले सामने आने पर उन्हें 'रेड जोन' घोषित किया जा रहा है, जबकि एक या दो मामले सामने आने पर संबंधित इलाकों को 'ऑरेंज जोन' में रखा जाता है।
120 साल पुरानी है थेरेपी
यहां उल्लेखनीय है कि प्लाज्मा थैरेपी इलाज की लगभग 120 साल पुरानी पद्धति है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पद्धति से कोरोना वायरस का भी प्रभावी इलाज किया जा सकता है, जिसमें ऐसे लोगों के रक्त प्लाज्मा को गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों में दिया जाता है, जो अपनी शरीर प्रतिरोधक क्षमता से खुद ठीक हो चुके होते हैं। उनका यह भी कहना है कि कोरोना वायरस से प्रभावित चीन और ईरान में भी मरीजों के उपचार में इस पद्धति को अपनाया गया। इस टेक्नीक का इस्तेमाल रेबीज, इबोला और कोविड-19 से मिलते-जुलते MERS और SARS के इलाज में भी हुआ है।
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