नई दिल्ली : बीजेपी नेता कपिल मिश्रा दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के केंद्र में लगातार बने हुए हैं। पूर्व में विधायक रह चुके कपिल मिश्रा पर दंगा भड़कने से ठीक पहले भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। हालांकि उनके खिलाफ अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इस बीच दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क (DSSW) के छात्रों ने उनसे दूरी बना ली है, जहां से उन्होंने पढ़ाई की।
'हम शर्मिंदा हैं'
डीएसएसडब्लू के स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'कपिल मिश्रा डीएसएसडब्लू के प्रतिष्ठित अलम्नाइ नेटवर्क पर धब्बा हैं। हमें उन पर शर्मिंदगी महसूस होती है और यह भी कि उन्होंने हमारे कॉलेज से सोशल वर्क में पढ़ाई की। उनके भड़काऊ भाषणों और कारनामों से हमारे विभाग की छवि धूमिल हुई है। वह डीएसएसडब्लू के अलम्नाइ कहलाने योग्य नहीं हैं।'
कोर्ट ने क्या कहा?
यहां उल्लेखनीय है कि कपिल मिश्रा के भाषणों की सीडी दिल्ली हाईकोर्ट में भी चलाई गई थी और जस्टिस मुरलीधर ने पुलिस के रवैये पर सवाल उठाते हुए उनके खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने की जरूरत भी बताई थी। बाद में उनका तबादला हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट में हो गया, जिसके बाद इस मामले की सुनवाई करने वाली कोर्ट की दूसरी पीठ ने माहौल को अनुकूल न बताते हुए इसकी सुनवाई 13 अप्रैल तक के लिए टाल दी।
कपिल मिश्रा ने किया अपना बचाव
दिल्ली दंगों को लेकर कपिल मिश्रा की भूमिका पर जहां लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं, वहीं बीजेपी नेता ने खुद का बचाव करते हुए कहा कि उन्हें बेकार में निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने तो बस नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वालों से सड़क खोलने की अपील की थी, जिससे दिल्ली के उस इलाके में लोगों को समस्या हो रही थी। उन्होंने बार-बार यह भी कहा कि उनसे सवाल किए जा रहे हैं, लेकिन उन लोगों से प्रश्न नहीं पूछा जा रहा, जो देश को बांटने की बात करते हैं।
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