नई दिल्ली। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब इसे सीपीसीबी के आंकड़े कहते हैं। दिल्ली में पानी की क्वॉलिटी खराब है इसके बारे में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स की रिपोर्ट सामने है। बीआईएस रिपोर्ट के बारे में उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि कम से कम पानी के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन पानी का मुद्दा अब सियासत के हवाले है। संसद से लेकर सड़क तक आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस एकदूसरे को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
संसद के दोनों सदनों में आम आदमी पार्टी की तरफ से गंभीर आरोप लगाए गए कि एनडीए सरकार गलतबयानी कर रही है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने कहा था कि जिन आंकड़ों की जांच की गई है, वो उन लोगों के घरों से इकठ्ठा किए गए हैं जो खास राजनीतिक दल से जुड़े हैं। अब ऐसे में सवाल ये है कि क्या दिल्ली का पानी कुछ खास घरों में प्रदूषित है या पानी की खराब गुणवत्ता का मुद्दा सिर्फ राजनीतिक है।
राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा था कि मोदी सरकार दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता से घबराई हुई है। दिल्ली सरकार की तरफ से बयान आया कि कुछ इलाके में लाइन पुरानी है और उसे बदला जा रहा है। इस विषय पर शुक्रवार को बीजेपी सांसद विजय गोयल राज्यसभा में बोलने के लिए खड़े हुए और हंगामा शुरू हो गया।
रामविलास पासवान का क्या कहना है
केजरीवाल जी ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने पहले के दावे से पलटते हुए कबूल किया कि दिल्ली में गंदे पानी की समस्या है। हम भी शुरू से यही कहते आ रहे हैं कि इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए बल्कि समस्या को जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास करें ताकि दिल्ली को साफ पानी मिले।जी मुझे गाली देने की बजायें दिल्ली की जनता के लिए स्वच्छ और शुद्ध पानी की व्यवस्था तत्काल करे।”मैं सिर्फ़ मुख्यमंत्री जी के द्वारा लगाये आरोप का जवाब दूँगा। बाकी के नेता क्या बोलते है, उस पर मैं ध्यान नहीं देता।
सवाल ये है कि नेताओं के आरोप- प्रत्यारोप के बीच आम जनता क्या सोचती है। इस विषय पर हमने दिल्ली के 6 जगहों का चयन किया जिसमें संगम विहार, बुराड़ी, बादली, द्वारका, महिपालपुर और मयूर विहार शामिल थे। इन 6 जगहों पर लोगों की प्रतिक्रिया मिलीजुली थी। संगम विहार के लोगों का कहना था कि पहली बात तो समय पर पानी नहीं मिलता है, दूसरी बात ये है कि पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं होती है। कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया बुराड़ी और बादली की भी थी। द्वारका के लोगों का कहना था कि उनके इलाके में पानी की गुणवत्ता खराब नहीं लगती है। लेकिन उनके पास क्वॉलिटी चेक करने का कोई साधन नहीं है।
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