नई दिल्ली: राज्यसभा में अमर्यादित आचरण को लेकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) के डेरेक ओ ब्रायन और आम आदमी पार्टी (AAP) के संजय सिंह सहित विपक्ष के आठ सदस्यों को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है। इस फैसले को सही ठहराते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस बात के पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध हैं कि यदि मार्शल राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश जी की रक्षा नहीं करते, तो उन पर लगभग शारीरिक हमला होता।
मंत्री ने कहा कि राज्यसभा के चेयरमैन ने सस्पेंशन का आदेश दिया, इसके बावजूद सभी सदस्य हाउस से वापस नहीं गए। ये नियमों का खुला-खुला उल्लंघन है। इसकी वजह से सदन को स्थगित करना पड़ा।
विपक्ष के इस दावे पर कि रविवार को मतदान के बिना बिल पारित किए गए, प्रसाद ने कहा कि उप सभापति ने संसद के सदस्यों (सांसदों) से पूछा, जो सदन के वेल में आ गए थे। 13 बार उनको अपनी-अपनी सीटों पर वापस जाने के लिए। जब आप अपनी सीटों पर ही नहीं जाते हैं तो मतदान कैसे हो सकता है। डिप्टी चेयरमैन पर शारीरिक रूप से हमला किए जाने की संभावना की ओर इशारा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'कल संसद के इतिहास में एक शर्मनाक दिन था। माइक तोड़ा गया, एक पार्टी के एक नेता ने नियम पुस्तिका फाड़ी थी।'
हंगामे से सदन का कामकाज बाधित
सोमवार को निलंबित सदस्यों ने सदन से बाहर जाने से इनकार कर दिया। वे और कुछ अन्य सदस्य इस दौरान सदन में विरोध जताते रहे। हंगामे की वजह से सदन का कामकाज बार बार बाधित हुआ। संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कल के हंगामे में असंसदीय आचरण को लेकर विपक्ष के आठ सदस्यों को मौजूदा सत्र के शेष समय के लिए निलंबित किए जाने का प्रस्ताव पेश किया। इसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। निलंबित किए गए सदस्यों में कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, तृणमूल के ब्रायन और डोला सेन, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम व आप के संजय सिंह शामिल हैं।
शून्यकाल समाप्त होने के बाद सभापति नायडू ने कहा कि एक दिन पहले उच्च सदन में कुछ विपक्षी सदस्यों ने जो आचरण किया वह दुखद, अस्वीकार्य और निंदनीय है तथा सदस्यों को इस संबंध में आत्मचिंतन करना चाहिए। नायडू ने हंगामा करने वाले सदस्यों के व्यवहार की निंदा करते हुए कहा कि कि हरिवंश ने बाद में उन्हें सूचित किया कि उनके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी किया गया।
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